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SCN LIVE DEBATE : क्या गांधी ने सावरकर से कहा था माफ़ी मांगने के लिए?
वीर सावरकर को लेकर देश की राजनीति एक फिर गरमाने लगी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सावरकर पर दिए बयान के बाद सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. अब हम आपको बताते हैं कि राजनाथ सिंह ने क्या कहा था जिस पर एक नई बहस छिड़ गयी है. कई नेता, इतिहासकार और पत्रकार इस पर टिप्पणी कर रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि विनयाक दामोदर सावरकर के 'दया याचिका' दायर करने को एक ख़ास वर्ग ने ग़लत तरीक़े से फैलाया. उन्होंने दावा किया कि सावरकर ने जेल में सज़ा काटते हुए अंग्रेज़ों के सामने दया याचिका महात्मा गांधी के कहने पर दाखिल की थी.
राजनाथ सिंह ने कहा, ''सावरकर के ख़िलाफ़ झूठ फैलाया गया, कहा गया कि उन्होंने अंग्रेज़ों के सामने बार-बार माफ़ीनामा दिया, लेकिन सच्चाई ये है कि क्षमा याचिका उन्होंने ख़ुद को माफ़ किए जाने के लिए नहीं दी थी, उनसे महात्मा गांधी ने कहा था कि दया याचिका दायर कीजिए. महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने याचिका दी थी."
"महात्मा गांधी ने अपनी ओर से ये अपील की थी कि सावरकर जी को रिहा किया जाना चाहिए. जैसे हम आज़ादी हासिल करने के लिए आंदोलन चला रहे हैं, वैसे ही सावरकर भी आंदोलन चलाएंगे. लेकिन उन्हें बदनाम करने के लिए कहा जाता है कि उन्होंने माफ़ी मांगी थी, अपने रिहाई की बात की थी जो बिलकुल बेबुनियाद है.''
दिल्ली में सावरकर पर केंद्रीय सूचना आयुक्त व वरिष्ठ पत्रकार व लेखक उदय माहूरकर की किताब 'वीर सावरकर' के विमोचन कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने ये बात कही. इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे.
कई नेता, इतिहासकार और पत्रकार इस पर टिप्पणी कर रहे हैं.
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जयराम रमेश का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, ''राजनाथ सिंह जी मोदी सरकार की कुछ गंभीर और शालीन लोगों में से एक हैं। लगता है कि वह भी इतिहास को दोबारा लिखने की आरएसएस की आदत से आजाद नहीं हो सके हैं। रमेश ने कहा कि महात्मा गांधी ने 25 जनवरी, 1920 को जो पत्र लिखा था, उसे राजनाथ सिंह ने अलग रूप से पेश किया है।
भूपेश बघेल का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी रक्षामंत्री के बयान पर सवाल खड़े किए हैं। राजनाथ सिंह ने यह कहा था कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों के सामने दया याचिका दी थी। अब भूपेश बघेल ने इसपर सवाल उठाया है कि जब सावरकर जेल में बंद थे तो उन्होंने महात्मा गांधी से बात कैसे की? 'उस समय महात्मा गांधी कहां थे? सावरकर कहां थे? सावरकर जेल में थे। दोनों ने कैसे बात की?
ओवैसी का बयान
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है, ''ये लोग इतिहास को तोड़कर पेश कर रहे हैं. एक दिन ये लोग महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के दर्जे से हटाकर सावरकर को ये दर्जा दे देंगे. न्यायाधीश जीवन लाल कपूर की जांच में गांधी की हत्या में सावरकर की मिलीभगत पाई गई थी.''
सैयद इरफ़ान हबीब का बयान
आधुनिक राजनीतिक इतिहास के जानकार सैयद इरफ़ान हबीब ने ट्वीट किया, "जी हां, एकरंगी इतिहास लेखन वास्तव में बदल रहा है जिसका नेतृत्व मंत्री कर रहे हैं और जिनका दावा है कि गांधी ने सावरकर को माफ़ीनामा लिखने को कहा था. कम से कम अब यह स्वीकार किया गया कि उन्होंने लिखा था. जब मंत्री दावा करते हैं तो किसी दस्तावेज़ी साक्ष्य की ज़रूरत नहीं होती है. नए भारत के लिए नया इतिहास."
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री असलम शेख़ का बयान
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता असलम शेख़ ट्विटर पर लिखते हैं, ''इतिहास, इतिहास ही रहेगा. बीजेपी के महानायक सावरकर ने एक-दो नहीं बल्कि छह क्षमा याचिकाएं (1911, 1913, 1914, 1915, 1918 और 1920) अंग्रेज़ों को लिखी थीं, जिसमें वो माफ़ी की भीख मांग रहे थे. ''
पत्रकार सागरिका घोष का बयान
पत्रकार सागरिका घोष लिखती हैं, ''सावरकर की बुरी छवि का जवाब उनकी छवि को साफ़ करने की कोशिशों से नहीं हो सकती, आरएसएस का इतिहास, इतिहास का सच नहीं है.''