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ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का दूसरा दिन, तालों की गुम चाबी 16 साल बाद आई सामने
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे आज दूसरे दिन भी जारी है। अंदर तहखाने के बाद अब मस्जिद के ऊपरी ढांचे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जा रही है। इस दौरान परिसर में सुरक्षा के चाक-चौबंद व्यवस्था रही है। कमीशन की कार्यवाही दूसरे दिन रविवार सुबह 8 बजे शुरू हो गई। मस्जिद के ऊपरी ढांचे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जा रही है।
ज्ञानवापी प्रकरण में शनिवार को मस्जिद के अंदर सर्वे शुरू होने के बाद से तहखाने की चर्चा हर जुबान पर है। क्योंकि माना जाता है कि इस तहखाने में ही स्वयंभू आदिविशेश्वर स्थित हैं। अष्टकोणीय मंदिर के शिखर को 11वीं शती में कुतुबुद्दीन एबक ने तोड़वाया था। 1595 में मुगल शासक अकबर के आदेश पर उनके नवरत्नों में एक राजा टोडरमल ने अपने बेटे के माध्यम से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उसी दौरान गर्भगृह में तहखाना बना दिया गया था।
परिसर के तहखाने के बंद तालों की चाबी 16 साल बाद सार्वजनिक रूप से सामने आई है। चार जनवरी 1993 को विवाद के बाद बंद हुए तालों की चाबी राजकीय कोषागार में जमा करा दी गई थी। मगर, 2006 में किसी मौके पर चाबियां कोषागार से निकालकर पुलिस को दी गई थी। इसके बाद से ही चाबी को लेकर संशय की स्थिति बन गई थी। यही कारण है कि न्यायालय ने चाबी पर संशय होने की ताला खोलने या तोड़ने का आदेश दिया था। उधर, कमीशन वाली जगह आराजी 9130 की नापी के लिए तहसील की टीम का गठन किया गया है।
सर्वे पूरा होने के बाद तैयार होगी रिपोर्ट
अदालत ने कमीशन की कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 17 मई की तिथि निर्धारित की है। रविवार को सर्वे के बाद आगे की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। कारण, अगर कमीशन की कार्यवाही पूरी हो जाएगी तो 17 मई को विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह, अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह संयुक्त रिपोर्ट न्यायालय को सौंपेंगे। यदि टीम को लगता है कि कमीशन के लिए और समय की आवश्यकता है तो वह न्यायालय से अगली तिथि पर रिपोर्ट पेश करने की अनुमति भी मांग सकती है।
यह है पूरा मामला
ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन और परिसर में स्थित अन्य विग्रहों को सरंक्षित करने के लिए याचिकाकर्ता राखी सिंह, मंजू व्यास, सीता साहू, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने 18 अगस्त 2021 को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां याचिका दाखिल की थी। इस मामले में 26 अप्रैल को कोर्ट द्वारा परिसर का सर्वे का आदेश जारी कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अजय कुमार को इसके लिए वकील कमिश्नर नियुक्त किया। 6 मई को पहली बार टीम ने सर्वे शुरू किया और सात मई को सर्वे टीम का मुस्लिम पक्ष के लोगों ने विरोध किया। न्यायालय में मुस्लिम पक्ष ने वकील कमिश्नर को बदलने की मांग की। हालांकि न्यायालय ने इस प्रति आपत्ति को खारिज करते हुए 12 मई को आदेश जारी किया कि अजय कुमार के साथ विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया था। न्यायालय ने आदेश भी दिया है कि ताला खोलकर या तोड़कर कमीशन की कार्यवाही निर्बाध पूरी कराई जाए। इसमें बाधा डालने वालों पर एफआईआर दर्ज कर सख्त विधिक कार्यवाही का भी आदेश दिया गया है।