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उमा की लाठी का डर नही है शिवराज को, प्रदेश में शराब की खपत बढ़ाने की तैयारी
अरुण दीक्षित
भोपाल।उपचुनाव जीतने के लिए प्रदेश में "कन्या पूजन" करवा रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी "छोटी बहिन" उमा भारती की कोई परवाह नही है।उमा अपने बड़े भाई से लगातार अनुरोध कर रही हैं कि वे प्रदेश में शराब की बिक्री बंद करा दें।उमा का दावा है कि शराब की बजह से ही प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं।यही नही उन्होंने यह ऐलान किया है कि वे 15 जनवरी 2022 से लाठी के बल पर शराबबन्दी कराएंगी।लेकिन शिवराज उनकी एक बात सुनने को तैयार नही है।
शराबबंदी की बात तो दूर उनकी सरकार इस बात की भरपूर कोशिश कर रही है कि प्रदेश में शराब की खपत ज्यादा से ज्यादा हो।इसके लिए आबकारी विभाग के अफसरों से कहा गया है।यही नही इस सम्बंध में आज भोपाल में अफसरों की बैठक भी बुलाई गई थी।लेकिन बाद में वह बैठक निरस्त हो गयी।
सूत्रों के मुताविक कंगाली की कगार पर खड़ी शिवराज सरकार अपना खजाना भरने के लिये कुछ भी करने को तैयार है।शराबबंदी की बात तो दूर वह महुआ की शराब की ब्रांडिंग करने की भी सोच रही है।यह बात खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ही झाबुआ के आदिवासियों से गत 5 अक्टूबर को कही थी।
मध्यप्रदेश देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा टैक्स सरकार ले रही है।भोपाल में इस समय पेट्रोल का रेट 113 रुपये प्रति लीटर के करीब है।जबकि डीजल 102 रुपये तक पहुंच गया है।शिवराज सरकार यह टैक्स कम करने को तैयार नही है।
उधर पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती पिछले कुछ महीनों से मध्यप्रदेश में शराबबंदी की मांग कर रही हैं।इस समय गंगा परिक्रमा पर निकली उमा ने पिछले महीने भोपाल में ऐलान किया था कि अगर मध्यप्रदेश में शराब की बिक्री बंद नही हुई तो वे 15 जनवरी के बाद लट्ठ लेकर निकलेंगी।खुद शराबबंदी कराएंगी।उमा का कहना था कि सरकार को शराब से करीब दस हजार करोड़ का राजस्व मिलता है।इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है।हालांकि उन्होंने इस विकल्प का खुलासा नही किया था।उमा के मुताविक यह बात वे सिर्फ शिवराज को ही बताएंगी।
2005 में उमा भारती के कड़े विरोध के बाद मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह उनकी बात पर कान देने को ही तैयार नही हैं।शराबबंदी की बजाय वे न केवल शराब की बिक्री बढ़ाना चाहते हैं बल्कि आदिवासियों की लोकप्रिय महुआ की शराब की ब्रांडिंग भी करने की तैयारी कर रहे हैं।2005 में स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने शिवराज की मदद की थी।अब खुद नरेंद्र मोदी उनके साथ खड़े हैं।ऐसे में उमा भारती की अहमियत लगभग खत्म हो चुकी है।देखना यह है कि डंडे के बल पर शराब बंदी कराने में उन्हें सफलता मिलती है या फिर वे किसी बहाने से पलटी मार कर आगे बढ़ जाएंगी।
फिलहाल जमीनी हकीकत यह है कि राज्य सरकार का खजाना खाली है।वह कर्ज पर कर्ज ले रही है।खर्च चलाने के लिए पेट्रोल डीजल पर देश भर में सबसे ज्यादा टैक्स ले रही है।ऐसे में शराबबंदी की बात वह सोच भी नही सकती है।सम्भव है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में शराब की होम डिलेवरी शुरू हो जाये।
यह सभी जानते हैं कि हर राज्य का आबकारी विभाग सरकार और सत्तारूढ़ दल के हर तरह के खर्च वहन करता है।अतः इस दौर में कोई भी सरकार अपना "चालू खाता" बंद कैसे कर सकती है।
कहने को देश में बिहार और गुजरात का उदाहरण दिया जाता है।लेकिन सब जानते हैं कि इन दोनों ही राज्यों में शराब आसानी से उपलब्ध हो रही है।यह अलग बात है कि सरकार को आय नही हो रही पर कुछ लोग तो कमा ही रहे हैं।इन राज्यों में अवैध शराब बेचने के लिए बड़े बड़े सिंडिकेट बन गए हैं। इनके बारे में सब जानते हैं।लेकिन कोई बोलता नही है।
ऐसे में उमा भारती की बात शिवराज कैसे सुन सकते हैं? अगर उन्होंने सड़क पर उतर कर डंडा खटकाया तो हो सकता है कि उन्हें लौट कर हिमालय की शरण में जाना पड़े।क्योंकि न तो शिवराज पुराने शिवराज हैं और न ही भाजपा अटल आडवाणी वाली भाजपा है।
देखना यह होगा कि उमा 15 जनवरी को क्या करेंगी।क्योंकि शिवराज ने तो साफ कर दिया है कि वे कन्या पूजन भी करेंगे और शराब की बिक्री भी बढाएंगे!!!