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- लखीमपुर मामले में...
लखीमपुर खीरी में रविवार को चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत के बाद सोमवार दोपहर प्रशासन किसानों को मनाने में सफल हो गया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की मध्यस्थता से किसानों और सरकार के बीच समझौता हो गया। एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि घटना में मारे गए किसानों के परिवारजन को सरकार की ओर से 45-45 लाख रुपये की धनराशि व परिवार के एक सदस्य को सरकार नौकरी देगी। जाहिर है, इस समझौते में सरकारी धन की बड़ी भूमिका है। फिर भी सरकारी मीडिया ने मामले को खत्म मान लिया है।
दैनिक जागरण ने कल केंद्रीय मंत्री के बेटे समेत 14 जनों पर केस दर्ज किए जाने की खबर दी थी। आज के अखबार में पहले पन्ने पर इसका कोई फॉलोअप नहीं है औरप गिरफ्तारी से संबंधित कोई सूचना भी नहीं है। दूसरी ओर, दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने मांग की है कि सभी मृतक भाजपा कार्यकर्ताओं के आश्रितों को 50-50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए। बेटा इस मामले में निर्दोष है, जांच में सच सामने आ जाएगा। इससे आप समझ सकते हैं कि सरकार की लाइन क्या है और भाजपा की राजनीति क्या है।
आज के अखबारों में (दैनिक हिन्दुस्तान, द टेलीग्राफ) घटना के वीडियो की चर्चा है। द टेलीग्राफ का शीर्षक है, "'भगवान राम दीया देखकर खुश होंगे'। इस बारे में क्या, प्रधानमंत्री जी?" हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड खबर का शीर्षक है, "'पीछे से कुचला गया': वीडियो से यूपी का तनाव बढ़ा"। लेकिन दूसरे अखबारों से ऐसा लगता नहीं है। ना भाजपा नेताओं को कोई चिन्ता या डर है। अकेले इंडियन एक्सप्रेस का शीर्षक वैसा है, जैसा होना चाहिए, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं, टिकैत ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक सप्ताह दिया। लेकिन दूसरे अखबारों से लग रहा है जैसे समझौता हो गया मामला ठंडे बस्ते में गया। गिरफ्तारी के लिए टिकैत ने भले सप्ताह भर का समय दिया हो, पुलिस क्या कर रही है।
आम लोगों पर एफआईआर की स्थिति में क्या होता है? मंत्रीपुत्र के मामले में क्या चल रहा है, मीडिया क्यों नहीं बता रहा है। होटल के कमरे में रात 12 बजे जबरन घुसकर जांच करने वाली पुलिस क्या कर रही है, कौन बताएगा। इंडियन एक्सप्रेस ने आज खबर छापी है, विपक्ष ने हमला बढ़ाया; राहुल आज लखीमपुर की ओर बढ़े। दूसरी ओर, अध्यक्ष-भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश एवं विधान परिषद सदस्य, उत्तर प्रदेश ने 4 अक्तूबर को 3:45 बजे ट्वीट किया था, किसानों और प्रशासन के बीच सहमति बन गई है, जो राजनीतिक गिद्द (गिद्ध?) मौके की तलाश में निकले थे वह वापस अपने एसी कमरों में जाने लगे हैं। मैं नहीं समझता इसपर किसी प्रतिक्रिया की जरूरत है पर इससे पता चलता है कि भाजपा वाले आग में घी डालने का काम कैसे करते हैं।
द हिन्दू ने इस मामले को सात कॉलम में लीड बनाया है और लिखा है कि किसान के रिश्तेदार दोबारा ऑटोप्सी की मांग कर रहे हैं। भाजपा अपनी आदत अनुसार विपक्ष को बदनाम करने, राजनीति करने का आरोप लगा रही है या लगाएगी। पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की है जबकि हिन्दी की खबर के अनुसार गवाहों, एफआईआर में मंत्री के बेटे पर गोली चलाने और दुर्घटना स्थल से भाग लेने का आरोप है। वैसे तो इस मामले में कुछ होना जाना नहीं है और मामला देर-सबेर दब ही जाएगा। संजय कुमार सिंह