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बरसो के बाद कभी ...

Desk Editor
26 July 2021 3:40 AM GMT
बरसो के बाद कभी ...
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पढ़िए गिरजा कुमार माथुर की कविता, बरसों के बाद कभी

बरसों के बाद कभी

हम तुम यदि मिलें कहीं,

देखें कुछ परिचित से,

लेकिन पहिचानें ना।

याद भी न आये नाम,

रूप, रंग, काम, धाम,

सोचें,यह सम्भव है -

पर, मन में मानें ना।

हो न याद, एक बार

आया तूफान, ज्वार

बंद, मिटे पृष्ठों को -

पढ़ने की ठाने ना।

बातें जो साथ हुई,

बातों के साथ गयीं,

आँखें जो मिली रहीं -

उनको भी जानें ना।

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