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Special Report on Masturbation: क्या वास्तव में हस्तमैथुन पाप है और यह आदत शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है? पढिए पूरी रिपोर्ट!

News Desk Editor
21 April 2022 4:37 PM IST
Special Report on Masturbation: क्या वास्तव में हस्तमैथुन पाप है और यह आदत शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है? पढिए पूरी रिपोर्ट!
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अभिलाष श्रीवास्तव

सफर के दौरान गाड़ी के शीशे से बाहर झांकिए, एक चीज जो आपको सबसे कॉमन दिखेगी वह है- सड़क किनारे दीवारों पर छपे 'स्वप्नदोष' और 'बचपन की गलतियों' के इलाज के विज्ञापन। इस स्टोरी का शुरुआत यहीं से होती है। हस्तमैथुन, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन और यौन अंगों से संबंधित ये विज्ञापन स्वाभाविक तौर पर हमें आकर्षित करते हैं, कारण- इससे संबंधित कई सवाल हमारे दिमाग बचपन से ही होते हैं, पर सामाजिक दायरों ने हमें ऐसा बांध रखा होता है कि इन विषयों पर चाहकर भी हम चर्चा नहीं कर पाते। दुर्भाग्यवश हमारी इसी झिझक और सीमित सोच के दायरों ने नीम-हकीमों और 'सेक्स मेडिसिन मार्केट' का एक ऐसा 'रैकेट' खड़ा कर दिया है, जो हमारी अज्ञानता का जबरदस्त फायदा उठाते हैं। रैकेट इसलिए कहा जाएगा कि इसमें स्व-घोषित डॉक्टर और हकीम इलाज ही उन चीजों कर रहे होते हैं जिसे मेडिकल साइंस असल में कोई बीमारी या समस्या मानता ही नहीं।

इस लेख में हम इसी से संबंधित एक बड़े गंभीर विषय पर आपका ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश करेंगे वह है- हस्तमैथुन। जिन लोगों के ऊपर शहरी आवरण थोड़ा अधिक चढ़ा है वह इस क्लिष्ट हिंदी के शब्द को 'मैस्टरबेशन' के नाम से सुनते आ रहे होंगे। सुनते के साथ 'जानते और समझते' शब्द का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया है क्योंकि इस बारे में शायद, या शायद भी नहीं, असल में हमें वास्तविक जानकारी है ही नहीं।

एक सामान्य धारणा के अनुसार हस्तमैथुन पाप है, शारीरिक दुर्बलता को जन्म देता है, भविष्य में आपको माता-पिता बनने के सुख से वंचित रख सकता है, बाल झड़ने लगते हैं, गाल पिचक जाते हैं, कमर दर्द हो सकता है और न जाने क्या-क्या अनर्गल चीजें हमारे दिमाग में रोपी गई हैं। पर क्या वास्तव में विज्ञान भी इन कपोलकथाओं को सही मानता है? क्या वास्तव में हस्तमैथुन हमारे लिए इतना ही हानिकारक है? और अगर है तो हम सभी यह करते क्यों आ रहे हैं? क्या आप नहीं करते हैं या किया नहीं है?

रुकिए, यह सवाल खुद से कीजिए- दिमाग से जो जवाब मिले, उसे सुन कर थोड़ा मुस्कुरा लीजिए, फिर इसके अगले चरण में इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

हस्तमैथुन, अप्राकृतिक नहीं है।

हस्तमैथुन को लेकर अपराधबोध की भावना

सेक्स और इससे संबंधित अन्य क्रियाओं को लेकर चूंकि हमारे समाज में बात करने को 'गलत' माना जाता है, जो स्वाभाविक तौर पर हमारे जिज्ञासु दिमाग में कई तरह की गलत जानकारियों का कारण बनता है। हस्तमैथुन को लेकर भी अक्सर लोगों के मन में ऐसी ही गलत जानकारियों और अपराधबोध-पाप की भावना देखने को मिलती है।

एक ऐसे ही मामले में युवक के मन में इसे लेकर इतना अपराधबोध घर कर गया कि वह रात में हाथों को बंधवाकर सोने लगा, ताकि वह खुद को नियंत्रित कर सके। उसे लगने लगा कि अगर वह हस्तमैथुन करता रहा तो इससे भगवान नाराज हो जाएंगे, सामाजिक नजरिए से उसके लिए जीवन जीना कठिन हो जाएगा। इस डर का फायदा तांत्रिक और जड़ी-बूटी वाले बाबाओं ने खूब उठाया। अंत में डॉक्टरी जांच के दौरान उसमें इस अपराधबोध भावना के कारण 'क्रोनिक स्ट्रेस डिसऑर्डर' का निदान किया गया। ऐसी भावना अममून हर किसी के दिमाग में कभी न कभी आती ही है, शायद आपके मन में भी?

मनोचिकित्सकों का कहना है कि हस्तमैथुन को लेकर खुद को नियंत्रित करने, अपराध, पाप या ग्लानि जैसी भावनाओं का अनुभव करने की आवश्यकता ही क्यों है? हस्तमैथुन, अप्राकृतिक नहीं है। यह मस्तिष्क में उपजने वाली एक सामान्य सी इच्छा है, जिसे हमारी नासमझी का फायदा उठाकर वर्षों से असामान्य क्रिया के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा है।

हस्तमैथुन कितना गलत-कितना सही?

यह सवाल युवावस्था से गुजर रहे, या संभवत: हर आयुवर्ग के मन में रहता ही है, पर कभी इसपर न तो खुल कर बात की गई, न ही लोगों को सटीक जानकारी मिल पाती है। हस्तमैथुन के बारे में समझने के लिए हमने कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट एंड साइकोसेक्सुअल एक्सपर्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी से बात की। डॉ सत्यकांत कहते हैं, सेक्स और सेक्सुअल डिजायर को लेकर बातचीत करना सामाजिक रूप से निषेध माना जाता है, ऐसा करने वालों के प्रति लोगों के देखने का नजरिया बदल जाता है। पर जरूरत यह है कि इन विषयों पर गंभीरता से बात की जानी चाहिए।

हस्तमैथुन पूरी तरह से सामान्य मानवीय क्रिया है, इससे किसी भी तरह का शारीरिक-मानसिक कोई नुकसान नहीं होता है, तब तक, जबतक यह आपके कंट्रोल में है। जब आप हस्तमैथुन के कंट्रोल में हो जाएं तब यह स्थिति समस्याजनक मानी जाती है। ऐसे में हस्तमैथुन के गलत-सही का प्रश्न ही नहीं है। रिसर्च बताते हैं कि 90-95 फीसदी पुरुष और 70-75 फीसदी महिलाएं हस्तमैथुन करती हैं।

हस्तमैथुन के क्या नुकसान हैं?

यह प्रश्न सबसे महत्वपूर्ण है, अमूमन हर युवा मन में इसके इर्द-गिर्द कई सारे सवाल घूमते रहते हैं। डॉ सत्यकांत बताते हैं, हस्तमैथुन पूरी तरह से स्वस्थ क्रिया है, यह हमारी सेक्स की इच्छाओं की पूर्ति का एक साधन है। इसको लेकर समाज में व्याप्त अशिक्षा और गलत जानकारियों ने इससे नुकसान, जैसे प्रश्न मन में पैदा कर दिए हैं।

हस्तमैथुन क्रिया पूर्णत: सामान्य है, इसके कोई नुकसान नहीं हैं और न ही इससे भगवान नाराज होते हैं। हां, हस्तमैथुन के बारे में दिमाग में गलत जानकारियां रखना, हस्तमैथुन करने के बाद ऐसा लगना जैसे कोई पाप किया है, यह भावनाएं आपके लिए जरूर नुकसानदायक हैं। अगर यह लंबे समय तक दिमाग में बनी रहती हैं तो इससे चिंता-तनाव, अवसाद, जैसी दिक्कतें जरूर हो सकती हैं। महिला-पुरुष, दोनों हस्तमैथुन करते हैं, और यह दोनों के लिए स्वस्थ है।

सीधा फंडा है- अगर आप अपने आनंद के लिए हस्तमैथुन कर रहे हैं तो यह पूर्णत: स्वस्थ है, पर अगर यह आपकी मजबूरी बन गया है और आपको करना ही पड़ रहा है, तो यह स्थिति समस्याकरक है।

हस्तमैथुन को लेकर फैली गलत जानकारियां

चूंकि सेक्स-हस्तमैथुन समाज में चर्चा के लिए 'निषेध विषय' हैं, ऐसे में गलत जानकारियों का फैलना या दिमाग में बैठ जाना स्वाभाविक है। डॉ सत्यकांत ने इसपर विस्तार से जानकारी दी।

लिंग के आकार पर असर- हस्तमैथुन से लिंग के साइज, शेप, टेस्टोस्टेरोन या इस्ट्रोजन लेवल (क्रमश: पुरुषों और महिलाओं को सेक्स के लिए प्रेरित करने वाला हार्मोन), यौन क्षमता, फर्टीलिटी में कोई कमी नहीं आती। क्या शरीर में कोई ऐसा अंग है जिसका उपयोग करने पर उसके साइज पर फर्क पड़ता है? हाथ, आंख, कान, पैर?

कितनी बार किया जा सकता है?- यह सोशल मीडिया और यूट्यूब के वीडियो को खूब रीच देने वाला सबसे पसंदीदा सवाल है। डॉ सत्यकांत कहते हैं, शादी के बाद दिन में कितनी बार संभोग करना है, प्रेमी-प्रेमिका के संभोग की क्या कोई तय संख्या होती है? तो हस्तमैथुन को लेकर यह सवाल क्यों? हां, पर इसका एक पहलू यह भी है कि अगर हमें दिन में बार-बार इसी की इच्छा होती रहती है, सारा काम छोड़कर यही करना पड़ता है तो इसपर जरूर विचार करने की आवश्यकता है।

वीर्य की गुणवत्ता पर असर- आमतौर पर धारणा रही है कि 100 बूंद खून से 1 बूंद वीर्य निर्मित होता है, ऐसे में हस्तमैथुन करने से वीर्य की गुणवत्ता में कमी आ जाती है। डॉ सत्यकांत कहते हैं, यह सेक्स की दवाइयों की बिक्री के लिए फैलाया गया मायाजाल है। संभोग और हस्तमैथुन दोनों ही स्थितियों में चरमोत्कर्ष में वीर्य निकलता है, तो संभोग के दौरान निकलने वाला वीर्य स्वस्थ और हस्तमैथुन करने से निकलने पर अस्वस्थ या इसकी गुणवत्ता में कमी कैसे आ सकती है? वीर्य तो एक ही है। अगर ऐसा होता, तो हर शादीशुदा व्यक्ति कमजोरी का शिकार ही होता।

हस्तमैथुन और वीर्य की गुणवत्ता के संबंध को और अच्छे से जानने के लिए हमें पहले यह समझना आवश्यक है कि शरीर में वीर्य बनता कैसे है?

शरीर में वीर्य निर्माण की प्रक्रिया

पुरुषों की प्रजनन प्रणाली विशेष रूप से निरंतर शुक्राणु के उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिए डिज़ाइन की गई है। अंडकोष में शुक्राणु का निर्माण होता है। हर दिन हमारे रक्त की ही तरह, शरीर में लाखों शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन होता रहता है।अंडकोष में छोटी नलियों की एक प्रणाली होती है। इन ट्यूबों को 'सेमिनिफेरस ट्यूबल्स' कहा जाता है, इनमें पुरुषों के सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और अन्य जर्म कोशिकाएं होती हैं जो शुक्राणु को निर्मित करती हैं।

जब कोई पुरुष, यौन क्रिया के लिए उत्तेजित होता है तो शुक्राणु कोशिकाएं और प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा निर्मित सीमनल फ्ल्यूड (एक सफेद तरल) वीर्य निर्मित करते हैं। उत्तेजना के परिणामस्वरूप, वीर्य (जिसमें 500 मिलियन के करीब शुक्राणु होते हैं) निकलता है। शरीर में यह क्रिया लगातार चलती रहती है।

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के एक अध्ययन से पता चलता है कि एक जर्म कोशिका से अंडे के निषेचन में सक्षम परिपक्व शुक्राणु कोशिका बनने की प्रक्रिया में लगभग 2.5 महीने लगते हैं।

हस्तमैथुन को लेकर अध्ययन क्या कहते हैं?

हस्तमैथुन के शरीर पर प्रभाव को जानने के लिए किए गए अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि इससे कोई हानिकारक दुष्प्रभाव नहीं होता है। मेडिकल साइंस इसे स्वस्थ 'सेक्सुअल एक्टिविटी पार्ट' के तौर पर देखता है। अध्ययनों की समीक्षा के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि संयमित हस्तमैथुन करने से आपके दिमाग और शरीर को कई फायदे भी हो सकते हैं। इसकी लत के अलावा इससे किसी भी दुष्प्रभाव के साक्ष्य नहीं हैं।

कुछ अध्ययन हस्तमैथुन क्रिया के लाभ का भी जिक्र करते हैं। यूरोपियन एसोसिएशन ऑफ यूरोलॉजी द्वारा साल 2016 में किए गए एक शोध में पाया गया कि नियमित स्खलन (संभोग या हस्तमैथुन के माध्यम से) प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन पुरुषों ने प्रति माह 21 बार तक स्खलन किया, उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने का जोखिम कम था।

इसी तरह साल 2003 में बीजेयू जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी शोधकर्ताओं ने पाया कि जो पुरुष हफ्ते में पांच बार तक स्खलन करते हैं, उनमें कम बार स्खलन करने वालों की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने की आशंका कम होती है।

हस्तमैथुन करने से वैवाहिक जीवन पर असर?

अध्ययनों से पता चलता है कि हस्तमैथुन किसी भी तरह से वैवाहिक जीवन के सुख, माता-पिता बनने या वीर्य की गुणवत्ता पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालता है। यहां तक कि जर्नल ऑफ सेक्स एजुकेशन एंड थेरेपी द्वारा साल 2015 में किए गए एक शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि हस्तमैथुन करने वाली महिलाओं की शादीशुदा जिंदगी, हस्तमैथुन न करने वालों की तुलना में अधिक खुशहाल होती है।

मायोक्लीनिक की रिपोर्ट कहती है कि हस्तमैथुन का पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होता है। कुछ शोध कहते हैं कि बिना स्खलन के दो से तीन दिनों के बाद वीर्य की गुणवत्ता अधिक प्रभावी होती है, हालांकि अन्य अध्ययनों का मानना है कि दैनिक स्खलन के साथ भी सामान्य शुक्राणु गतिशीलता और गुणवत्ता बनी रहती है।

अतएव, शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि हस्तमैथुन, वैवाहिक जीवन के लिए भी स्वस्थ आदत है, इसके कोई नुकसान नहीं हैं।

जब हस्तमैथुन के नुकसान नहीं तो समाज में इतना हौवा क्यों?

इस लेख में साक्ष्य सहित प्रस्तुत अध्ययनों से यह बात स्पष्ट होती है कि न तो हस्तमैथुन आपको शारीरिक हानि पहुंचाता है, न ही इससे वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है, यह पूर्णत: स्वस्थ है। अब सवाल है कि जब हस्तमैथुन के नुकसान ही नहीं हैं तो इसको लेकर समाज में इतना भ्रमजाल क्यों है?

इस सवाल के जवाब में डॉ सत्यकांत बताते हैं- फूड, सेक्स और अचीवमेंट (कुछ विशेष प्राप्त करना) हमारे दिमाग के 'रिवार्ड सिस्टम' को सक्रिय करता है, यह सिस्टम हमें खुशी का एहसास दिलाती है। समस्या यह है कि जब हमारा शरीर सेक्सुअल डिजायर के संकेत देता है, और हम इसे गलत मानकर दबाने की कोशिश करने लगते हैं, तब इसके कारण अपराधबोध और हीन भावना जन्म लेती है। इस भावना के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे तनाव-अवसाद आदि का खतरा बढ़ जाता है।

जिस तरह से हृदय गति, किडनी-लिवर की क्रिया, भोजन के पाचन को हम कंट्रोल नहीं कर सकते हैं, सेक्सुअल डिजायर भी उसी तरह से है। इसको लेकर हमारी अज्ञानता और झिझक ,सेक्स दवाइयों के बड़े और अनावश्यक बाजार को बढ़ावा देती है।

दुर्भाग्यवश, बड़े योजनाबद्ध तरीके से हिंदी के शब्दों को भी ऐसे गढ़ा गया है जो हमारे दिमाग में हस्तमैथुन के लिए कुंठा पैदा करें। जैसे स्वपन'दोष', वीर्य'पतन', बचपन की गलतियां आदि। पर जब इसे मेडिकल साइंस प्राकृतिक और सुरक्षित मानता है तो इसमें गुण-दोष का प्रश्न ही नहीं है। वीर्यपतन भी ऐसा ही गढ़ा एक शब्द है, जिसे ऐसा प्रदर्शित किया जाता है जैसे हमारी शक्ति चली गई है। इस बाजार ने अपने लाभ के लिए हस्तमैथुन को सीधे खून और शक्ति से जोड़ दिया है, हमारी अज्ञानता इसे और बढ़ावा देती है।

हस्तमैथुन, नुकसानदायक नहीं है इसका अर्थ यह भी नहीं है कि यह स्वास्थ्यवर्धक या शक्तिवर्धक है। हमें बस समाज में फैले अज्ञानता के मायाजाल से निकलकर इतना ही समझ लेना है कि जब तक हस्तमैथुन हमारे कंट्रोल में है इससे कोई नुकसान नहीं है, पर अगर हम इसके कंट्रोल में हैं तो आपको काउंसलिंग की आवश्यकता है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेख स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव और साझा की गई केस की जानकारी के साथ मेडिकल रिपोर्ट्स/अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है। लेख का उद्देश्य समाज में फैली गलत जानकारियों/अफवाहों को लेकर आपको सचेत करना मात्र है। लेख, हस्तमैथुन को किसी भी प्रकार से बढ़ावा को प्रेरित नहीं करता है।

लेखक : अभिलाष श्रीवास्तव

साभार

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