- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
यूक्रेन पर रूस की बमबारी सोमवार को पांचवें दिन भी जारी है। दूसरी तरफ, इस टकराव को रोकने और रूस पर दबाव बनाने की कोशिशें भी चल रही हैं। वही रविवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ ही अमेरिका व नाटो को परोक्ष परमाणु धमकी दे दी है। उन्होंने अपनी सेना की परमाणु इकाई को हाई अलर्ट किया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पुतिन ने सिर्फ परमाणु भभकी दी है या असल में वे महाविनाश के इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं?
पुतिन की नीति-रणनीति को लेकर कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि वे क्या कर सकते हैं या क्या नहीं कर सकते? उन्होंने रूस के रक्षा मंत्री व सेना प्रमुख को अपने सामरिक परमाणु बलों को हाई अलर्ट करने का निर्देश दिया है। इसे परोक्ष धमकी माना जा सकता है, लेकिन पुतिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोई भी तरीका अपना सकते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है।
फिलहाल यह जोखिम कम है कि वह यूक्रेन जंग में अमेरिका या नाटो के दखल के जवाब में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं, लेकिन यह भी मानकर बैठना गलत होगा कि पुतिन ऐसा नहीं कर सकते हैं। उनका इतिहास गवाह है कि वे देशहित में अति कठोर लेने से भी चूके नहीं हैं।
ये हैं बड़े खतरे
यदि यूक्रेन जंग में अमेरिका या नाटो ने दखल दिया तो पुतिन परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं।
यूरोप के देशों के पास पर्याप्त परमाणु हथियार हैं और इससे जुड़े किसी देश के इरादे को समझना मुश्किल है।
रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। इतना ही नहीं वह युद्ध के मैदान में चलाए जाने वाले परमाणु शस्त्रों की तकनीक जानने वाला महारथी देश भी है।
दूसरी ओर यूक्रेन के सबसे शक्तिशाली रणनीतिक साझेदार अमेरिका के पास भी विशाल परमाणु भंडार है।
नाटो के साझेदार फ्रांस और ब्रिटेन के पास भी उन्नत परमाणु शस्त्र हैं। नाटो के सदस्य देशों बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और तुर्की के पास भी अमेरिकी परमाणु हथियारों से लैस हैं।
रूस की परोक्ष परमाणु धमकी से तनाव बढ़ सकता है, हालांकि अमेरिका व नाटो शुरू से कह रहे हैं कि वे इस जंग में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे।
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल खुद को महाशक्ति साबित करने व दुश्मन सेना या देश को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
अंतिम विकल्प के रूप में इसे ब्रह्मास्त्र के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है
किसी पर दागी गई मिसाइल को गलती से परमाणु मिसाइल मानकर जवाब में परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है।
परमाणु हथियारों के कमान एंड कंट्रोल में किसी खराबी या हादसे की वजह से भी परमाणु बटन दब सकता है।
यूक्रेन के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन इससे परमाणु खतरा कम नहीं होता है। इस जंग के परमाणु युद्ध में बदलने की आशंका कायम है।