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जानिए बनारस के स्वर्वेद मंदिर के बारे में, आज पीएम मोदी भी जाएंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी दौरे के दूसरे दिन स्वर्वेद मंदिर जाएंगे। पीएम मोदी वहां वार्षिकोत्सव में शामिल होंगे। पीएम मोदी स्वर्वेद मंदिर में करीब डेढ़ घंटे तक का समय बिताएंगे और संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुर्खियों में आए इस मंदिर के बारे में लोगों के मन में काफी सवाल है। साथ ही लोगों का सवाल ये भी है कि यह किस का मंदिर है और मंदिर में क्या खास है। ऐसे में आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जिससे आप मंदिर और उससे जुड़े लोगों के बारे में जान पाएंगे।
क्या है इस मंदिर की कहानी?
इस मंदिर का नाम है स्वर्वेद. स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है स्व: और वेद. स्व: का एक अर्थ है आत्मा,वेद का अर्थ है ज्ञान. स्व: का दूसरा अर्थ है परमात्मा,वेद का अर्थ है ज्ञान. जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे ही स्वर्वेद कहते हैं. इस मंदिर में किसी विशेष भगवान की पूजा के बजाय मेडिटेशन किया जाता है और यह एक मेडिटेशन स्थल है.
बता दें कि सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान की ओर से वाराणसी के उमरहा में यह बनाया गया है. स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य 2014 से शुरू हुआ जो अभी तक लगातार चल रहा है. जो साधना का विशालतम केंद्र माना जा रहा है. यह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अमर सेनानी महर्षि सदाफलदेव जी महाराज और सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग सन्त समाज से संबंधित है. 14 दिसंबर को स्वर्वेद मंदिर में होने वाला कार्यक्रम महर्षि सदाफलदेव की जेल-यात्रा का शताब्दी महोत्सव और विहंगम योग सन्त समाज का 98वां वार्षिकोत्सव पर हो रहा है.
क्या है इस मंदिर की खास बात?
वैसे, विशाल स्वर्वेद महामंदिर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह सात मंजिला है और 35 करोड़ की ज्यादा की लागत से 64 हजार स्कवायर फीट में बनाया गया है. यह दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर भी है. काशी में बना स्वर्वेद मंदिर 180 फीट ऊंचा है. यहां के अनुयायी भारत के करीब सभी राज्यों एवं विदेशों में भी हैं. इस सुपर स्ट्रक्चर की काफी चर्चा हो रही है. इस मंदिर में मकराना मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं. इसमें कमल के आकार का गुंबद बना हुआ है।