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- घाटी के बदलते माहौल को...
कश्मीर घाटी में लगातार पिछले कुछ दिनों में हिंदुओं की हत्या कर आतंकवादियों ने फिर संदेश दिया है कि उनके लिए वहां जिहाद के क्या मायने हैं। आज तो एक सिख महिला स्कूल प्रिंसिपल भी इनका शिकार हो गई। कश्मीर के बदलते माहौल के कारण हिंदुओं व सिखों के अंदर फिर से वहां लौटने का जो साहस पैदा हुआ है ये उसका अंत करना चाहते हैं।
साफ है कि केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था थोड़ा ज्यादा सुदृढ करना होगा। धारा 370 हटाने के पहले और बाद जिस तरह की सुरक्षा व्यवस्था थी, वहां नेताओं से लेकर समस्या पैदा करने वाले संभावित लोगों की नजरबंदी हुई तथा अन्य प्रतिबंध लगे वो सब कुछ और समय जारी रहना चाहिए था। कारण, कश्मीर कोई सामान्य राज्य नहीं आतंकवाद के गिरफ्त में फंसा था। लेकिन मानवाधिकारवादियों से लेकर मीडिया के कुछ पुरोधाओं, यहां तक कि उच्चतम न्यायालय भी लगातार प्रश्न उठाने लगा।
बावजूद सरकार को अड़ना चाहिए था। अगर वहां सुरक्षा व्यवस्था तथा बंदिशें थोड़े लंबे समय तक कायम रहती तो शायद शांति और स्वतंत्रता के बनते माहौल में फिर से जिहादी आतंकवादियों के लिए इस तरह हिंसा द्वारा खलल डालना संभव नहीं होता। किंतु ,हिम्मत नहीं हारना है। इनका मुकाबला करना ही होगा। कोई बड़ा परिवर्तन बगैर बलिदान के नहीं होता। सरकार इनके परिवारों तथा शेष गैर मुस्लिमों साथ खड़ी हो ।इनके परिवारों की पूरी सहायता की जाए ।साथ ही जितना संभव है सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाएं सुदृढ़ हों।