- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- Top Stories
- /
- नहीं रहे देश के चोटी...
नहीं रहे देश के चोटी के शिकारी, लेखक हेम भैय्या उर्फ़ हेमचंद्र सिंह राठौर !!
हेमचंद्र सिंह राठौर , हम सबके चहेते हेम भैया, विगत रात्रि हम सब को बिलखता छोड़ अनंत यात्रा को निकल गए। आप तिरानवे वर्ष की आयु में भी पूरी तरह फिट थे।
आप तपे हुए वरिष्ठ कांग्रेसी, सामाजिक चिंतक, मूर्धन्य लेखक,व जबरदस्त गजलकार थे, हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं के साथ ही हल्बी,गोंडी आदि स्थानीय बोलियों के भी बहुत अच्छे जानकार थे। आपकी रचनाएं "ककसाड़" सहित देश की चोटी के पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आप हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव के सही मायनों में संरक्षक थे।
आप की गिनती देश के चोटी के शिकारियों में होती थी। आपने अंचल को कई आदमखोर शेरों के आतंक से निजात दिलाई थी। आपके संस्मरण लेख विशेषकर "शिकार संस्मरण" बेहद रोचक तथा लोकप्रिय हैं। बस्तर के इतिहास के तो आप चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया थे। आपके जाने के साथ थी बस्तर के इतिहास का एक पन्ना सदा सदा के लिए गुम हो गया है। आपकी कमी किसी भांति पूरी नहीं की जा सकती।
आपसे हमारी पीढ़ी ने बहुत कुछ सीखा और आगे भी हम आपकी दी गई सीखों व नसीहतों पर चलने की पूरी इमानदारी से कोशिश करेंगे। हम सब कोंडागांव बस्तर के साहित्यकार, मित्र, परिजन आप को अश्रुपूर्ण हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
डॉ राजाराम त्रिपाठीछत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद कोंडागांव, जनजातीय सरोकारों की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका "ककसाड़" , मां दंतेश्वरी हर्बल समूह, संपदा समाजसेवी संस्थान,कोंडागांव बस्तर छत्तीसगढ़।