
होली पर एक साथ बन रहे तीन शुभ योग, जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त व तिथि

होली का त्योहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। होली का पर्व अच्छाई की जीत की याद दिलाता है। होली का पर्व इस बार सुख-समृद्धि लेकर आ रहा है। इस साल एक साथ गजकेसरी, वरिष्ठ व केदार राज योग बन रहे हैं। इसके अलावा कई अन्य योग भी त्योहर के मौके पर बन रहे हैं। इन योगों का एक साथ बनना ज्योतिष में काफी शुभ माना जा रहा है।
बतादें कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि इस बार 17 मार्च को है। इसी पूर्णिमा तिथि पर असत्य और बुराई की प्रतीक होलिकाओं का दहन किया जाएगा। होलिका दहन बृहस्पतिवार को है, जो अपने आप में शुभ है। बृहस्पति की दृष्टि का संबंध चंद्रमा से है, जिससे गजकेसरी योग बन रहा है। इस दिन मकर राशि में शुक्र, मंगल, शनि की युति है।
ध्रुव योग का भी होगा मिलन
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि होली पर तीन राज योग के अलावा वृद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ध्रुव योग का भी मिलन होगा। वहीं कुंभ राशि में बृहस्पति व बुध ग्रह रहेंगे। बुध गुरु की युति से आदित्य योग बन रहा है।
होलिका दहन 2022 शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूर्णिमा बृहस्पतिवार को दोपहर भद्राकाल में 01:31 बजे लग जाएगी। दूसरे दिन शुक्रवार को दोपहर 12:48 बजे तक पूर्णिमा रहेगी। पूर्णिमा भद्राकाल में आरंभ हो रही है और रात 1:10 बजे तक भद्राकाल रहेगा। ऐसे में भद्राकाल के बाद ही होलिका दहन करना फलदायी रहेगा।
होलिका दहन की पूजा विधि
होली की पूजा करने वाले व्यक्ति को उत्तर व पूर्व दिशा में मुख करके बैठना चाहिए। पूजा के लिए एक लोटा जल, फूल माला, गुलरियों की माला, चावल, गंध, गुड, सूत, हल्दी, गेहूं की बाली आदि पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है। पूजा करने के उपरांत होलिका को जल का अर्घ्य देकर चारों ओर परिक्रमा लगाई जाती है तथा सूत लपेटा जाता है। गोवर की गुलरियों से तैयार मालाओं के बीच में एक लकड़ी रखी जाती है, जिसे प्रहलाद का रूप माना जाता है। दहन से पहले इसको निकाल लिया जाता है और इसे ऐसे स्थान पर छिपा दिया जाता है, जिससे प्रहलाद के रूप में इसकी सुरक्षा हो सके।
