- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- Top Stories
- /
- आखिर क्यों? गाड़ी नंबर...
आखिर क्यों? गाड़ी नंबर 420, परिवहन विभाग के लिए बना सिरदर्द
गाड़ी नंबर 420, यह ऐसा नंबर है जो परिवहन विभाग के लिए सिरदर्द बन गया है। इस नंबर को कोई भी गाड़ी मालिक लेना नहीं चाहता। लेकिन नंबरों की सीरीज में शामिल इस नंबर को देना विभाग की मजबूरी है। ऐसे में 10 दिसंबर से शुरू हो रही ऑनलाइन नंबर के आवंटन की नई व्यवस्था विभाग के लिए चुनौती बन गई है।
नई व्यवस्था के तहत शोरूम पर नई गाड़ी की बिक्री का ब्योरा विभाग के पोर्टल पर दर्ज करते ही खुद नंबर जेनरेट हो जाएगा। ऐसी स्थिति में जिस गाड़ी मालिक को यह नंबर मिलेगा वह आपत्ति जताएगा। अभी तक आरटीओ कार्यालय से मैनुअल नंबरों के आवंटन में सीरीज में से ऐसे नंबरों को छोड़ दिया जाता रहा है। लेकिन नई व्यवस्था के तहत नंबर का आवंटन ऑटोमेटिक हो जाएगा। ऐसे में परिवहन विभाग के अधिकारी असमंजस में है। ऑनलाइन नंबरों के परीक्षण के दौरान ही सैन्य अधिकारी को 0420 नंबर मिला जिसपर उन्होंने आपत्ति जताई थी।
वीआईपी नंबरों की नीलामी में अभी तक सबसे ऊंची बोली 0001 नंबर के लिए छह लाख रुपये लगी है। ऐसे में 0001 से लेकर 0009 तक के नंबरों के लिए न्यूनतम बोली एक लाख रुपये से शुरू होती है। नंबरों की सीरीज में कुछ नंबर ऐसे हैं जिसपर लोगों की आपत्ति रहती है। ऐसे नंबर विभाग के लिए सिरदर्द बन गए हैं। इनमें खासतौर पर 420 है। ऐसे में इसे वीआईपी श्रेणी में डालकर हटाए जाने की तैयारी है।
प्रभात पांडेय, आरटीओ (आईटी),परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर तैनात