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एक सच्चे मार्क्सवादी को श्रद्धांजलि, उसूलों की खातिर पार्टी लाइन के खिलाफ खड़े हो गए थे सोमनाथ चटर्जी

एक सच्चे मार्क्सवादी को श्रद्धांजलि, उसूलों की खातिर पार्टी लाइन के खिलाफ खड़े हो गए थे सोमनाथ चटर्जी
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सोमनाथ चटर्जी ने कामगार वर्ग तथा वंचित वर्ग के लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाकर उनके हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई अवसर नहीं गंवाया.

आज से तीन वर्ष पूर्व लोकसभा के स्पीकर और 10 बार सांसद रहे कम्युनिस्ट नेता कामरेड सोमनाथ चटर्जी का आज के दिन निधन हुआ था, सोमनाथ चटर्जी. साल 1968 से राजनीतिक जीवन की पारी शुरु करने वाले सोमनाथ का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम स्थित तेजपुर में हुआ था. सोमनाथ का सोमवार सुबह 89 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया।

कोलकाता से शुरुआती पढ़ाई करने वाले सोमनाथ ने प्रेसिडेंसी कॉलेज और फिर कोलकाता विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की. इसके साथ ही कैंब्रिज के जीसस कॉलेज से साल 1952 में ग्रेजुएशन और फिर साल 1957 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन, दोनों कानून के विषय में की. उन्होंने सक्रिय राजनीति में आने से पहले कोलकाता हाईकोर्ट में वकालत भी की।

साल 1968 में सोमनाथ ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्स) में शामिल हुए. साल 1971 में वह CPIM के समर्थन से निर्दलीय सांसद बने. सोमनाथ 9 बार सांसद चुने गए. सिर्फ साल 1984 में वह ममता बनर्जी से जाधवपुर सीट से हार गए थे. इसके बाद फिर साल 1989 से साल 2004 तक जीत का सिलसिला जारी रहा. साल 2004 में वह 14वीं लोकसभा में 10वीं बार सांसद चुने गए.साल 1996 में सोमनाथ को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार मिला।

4 जून 2004 को 14 वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रुप में श्री सोमनाथ चटर्जी का सर्वसहमति से निर्वाचन से सदन में एक इतिहास रच गया. लोकसभा अध्यक्ष के रुप में सोमनाथ चटर्जी का निर्वाचन प्रस्ताव तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने रखा, जिसे तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अनुमोदित किया. इस लोकसभा के 17 अन्य दलों ने भी सोमनाथ चटर्जी का नाम प्रस्तावित किया, जिसका समर्थन अन्य दलों के नेताओं द्वारा किया गया. इसके बाद वह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

बतौर स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने सरकारी पैसों से सांसदों के चाय पानी पर रोक लगा दी थी. सोमनाथ चटर्जी ने ही दबाव डाला था कि अगर कोई सांसद विदेशी दौरे पर जाता है, और उसके साथ उसके परिवार वाले जाते हैं, तो परिवार वालों का खर्चा सांसदों को ही वहन करना होगा.

साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु संधि के मुद्दे पर वामदल ने कांग्रेस नीत UPA से समर्थन वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की तो पार्टी ने अपनी सूची में सोमनाथ का नाम भी शामिल किया. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष के पद पर विराजमान व्यक्ति किसी दल का नहीं होता. वहीं चटर्जी ने भी इस मुद्दे पर पार्टी लाइन के खिलाफ गए. पार्टी के निर्देशों को नदरअंदाज करते हुए वह स्पीकर पद पर बने रहे. इसके बाद CPIM ने पार्टी के अनुशासन का पालन ना करने के आरोप में उन्हें पार्टी से निकाल दिया.साल 2009 में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया. अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सोमनाथ चैटर्जी ने लोकसभा के शून्य काल का लाइव प्रसारण शुरु कराया. साल 2006 में लोकसभा का प्रसारण 24 घंटे के लिए किया जाने लगा।

आज कामरेड चर्टजी को याद करते हुए लाल सलाम . कॉमरेड सोमनाथ चटर्जी को याद करते हुए इंद्रजीत गुप्त ,एबी वर्धन आदि आदि ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने निजी संपत्ति नही बनाई वो भी याद आ रहे हैं । ऐसे लोगों ने जो पैतृक संपत्ति थी, उसे भी पब्लिक पर खर्च कर दिया । ये लोग कभी भी आईटीओ, गोल मार्केट, रफी मार्ग, संसद मार्ग पर अकेले टहलते मिल जाते थे। आठ दस बार यानी लगातार 40-50 साल सांसद रहे व्यक्ति के बारे में यह कल्पना करके अजीब लगता है न? लेकिन ऐसा ही था। कामरेड वर्धन ने एक बार सीपीआई दफ्तर में खाना खाकर जूठन छोड़ने वालों से अनुरोध किया कि आपलोग खाना बर्बाद न किया करें। बहुत गरीब लोगों से एक दो किलो राशन बटोरकर यह खाना बनता है ।

सोमनाथ चटर्जी ने कामगार वर्ग तथा वंचित वर्ग के लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाकर उनके हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई अवसर नहीं गंवाया. सोमनाथ चटर्जी का वाद-विवाद कौशल, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की स्पष्ट समझ, भाषा के ऊपर पकड़ और जिस नम्रता के साथ वो सदन में अपना दृष्टिकोण रखते थे, उसे सुनने के लिए पूरा सदन एकाग्रचित्त होकर सुनता था. सोमनाथ चटर्जी ने भले ही 2009 में सक्रिय राजनीति से अलविदा कह दिया था और 2018 में हम सबों को अलविदा कह दिया, लेकिन उनके वे अमूल्य सिद्धांत सदैव जीवंत रहेंगे, जिन्होंने भारतीय संसदीय परंपरा को कई नवीन आयामों से विभूषित किया. कम्युनिज्म आज भी वैसा ही है। किसी नेता से मिलिए तो फीलिंग ही नहीं आती कि वह राजा महाराजा है!

सोमनाथ चटर्जी को फिर से श्रद्धांजलि



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