- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- Top Stories
- /
- यूक्रेन से लौटे एटा के...
यूक्रेन से लौटे एटा के दो छात्र, बताए वहां के हालात
अभिषेक लोधी का परिवार
यूक्रेन से घर लौटे एटा के छात्र अभिषेक लोधी और उनके साथ पिलुआ कस्बा के रविराज यादव ने वहा के हालात के बारे बताया कि यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को हॉस्टल में एक प्लेट में दाल-चावल दिया जाता था। उसमें भी पांच लोगों को खाना होता था। हॉस्टल के ऊपर से अक्सर रूसी सेना के एयरक्राफ्ट (जंगी जहाज) उड़ते थे। जिनकी आवाज से हम लोग सहम उठते थे।
गांव कुठिला रामनगर के रहने वाले अभिषेक लोधी की मेडिकल की पढ़ाई की यह पहली ही साल है। वह दिसंबर में यूक्रेन गए थे। उन्हें उजरोज नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला। अभिषेक ने बताया कि 21 फरवरी से वहां सब कुछ बंद हो गया था। हम लोगों को हॉस्टल से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। बाजार भी पूरी तरह बंद थे। खाने-पीने तक का सामान नहीं मिल रहा था। हॉस्टल की मेस में जो भी उपलब्ध था, उसे सभी छात्रों में थोड़ा-थोड़ा दे दिया जाता था।
अभिषेक ने कहा कि जैसे ही हॉस्टल के ऊपर से कोई एयरक्राफ्ट गुजरता तो डर लगता था कहीं बम न गिरा दे। एक समय तो लगने लगा कि यहां से निकल ही नहीं पाएंगे। दिन-रात दहशत रहती थी। फिर भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया तो उम्मीद बंधी। फर्स्ट इयर के छात्रों को सबसे पहले भेजा गया। हम लोग जुहानी बॉर्डर से होते हुए बुडापेस्ट पहुंचे, जहां से फ्लाइट मिली। यहां परिवार के बीच आकर काफी राहत महसूस की।
सोमवार रात को घर पहुंचे रविराज यादव
कस्बा पिलुआ के रहने वाले रविराज यादव जकारपट्टिया ओब्लास्ट में इसी यूनिवर्सिटी से मेडिकल की तीसरे वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। सोमवार रात दो बजे वह गांव में पहुंचे। सभी परिवारीजन जागकर उनका इंतजार कर रहे थे। उनके पहुंचते ही सूनसान रात के बीच उत्सव जैसा माहौल हो गया।
रविराज ने बताया कि खारकीव, कीव आदि शहरों की अपेक्षा जकारपट्टिया के हालात बेहतर थे। हंगरी बॉर्डर तक हम लोग बस के जरिये आसानी से पहुंच गए। दिल्ली में हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद हम लोग उत्तर प्रदेश भवन पहुंचे। जहां हम लोगों के आराम और भोजन की अच्छी व्यवस्था थी। उन्होंने भारत और प्रदेश सरकार के साथ ही मददगार बने राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह का भी आभार जताया।
सकुशल अपने घर लौटकर आए छात्र खुश तो हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई को लेकर उनके मन में चिंता भी है। बताया कि अभी तो कुछ दिन का अवकाश कर दिया गया है। 10 मार्च से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की जाएगी। लेकिन युद्ध के हालात कितने लंबे चलेंगे और इसके बाद क्या स्थिति होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। हालांकि शांति होने पर हम लोग निश्चित रूप से यूक्रेन जाएंगे और अपनी पढ़ाई पूरी करके ही लौटेंगे।
बोले छात्र- हम तो निकले, औरों को भी निकालो
यूक्रेन से लौटे दोनों छात्रों ने उन्हें निकालने के लिए भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया। साथ ही कहा कि हर भारतीय छात्र को वहां से जल्द से जल्द निकाला जाए। अभी फ्लाइट कम जा रहीं हैं, जिसके चलते छात्रों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है। फ्लाइट की संख्या बढ़ाई जाए, तभी समय से सारे छात्र सकुशल वापस लाए जा सकेंगे।