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महाराष्ट्र विधानसभा का क्या है सियासी गणित? क्यों उद्धव सरकार के लिए बजी खतरे की घंटी

Desk Editor Special Coverage
21 Jun 2022 3:48 PM IST
महाराष्ट्र विधानसभा का क्या है सियासी गणित? क्यों उद्धव सरकार के लिए बजी खतरे की घंटी
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महाराष्ट्र विधानसभा का क्या है सियासी गणित? क्यों उद्धव सरकार के लिए बजी खतरे की घंटी

महाराष्ट्र में 2019 के बाद से चली आ रही उद्धव ठाकरे की सरकार की जमीन खिसकती नजर आ रही है. शिवसेना के आधे से अधिक विधायकों ने गुजरात के सूरत में डेरा डाल दिया है. अब शिवसेना नुकसान की भरपाई के लिए हाथ पांव मार रही है और अपने कुछ नेताओं को गुजरात के सूरत के लिए रवाना कर दिया है. उधर, शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने सुलह के लिए उद्धव ठाकरे को तीन प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और खुद के लिए डिप्टी सीएम बनाने का प्रस्ताव है. एक प्रस्ताव यह भी है कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ आकर देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाए. बताया जा रहा है कि शिवसेना के विधायक सूरत में एक होटल में ठहरे हैं और वहां किसी को भी जाने आने की इजाजत नहीं है. अब सरकार को खतरा है या नहीं, यह जानने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा का गणित समझना पड़ेगा.

मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना ने तोड़ा था गठबंधन

2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए थे. चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन में थे लेकिन जब नतीजे आए तो बीजेपी अकेले दम पर सत्ता से दूर रही तो शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग करते हुए गठबंधन तोड़ लिया था. उसके बाद यहां महाविकास अघाड़ी के बैनर तले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनी थी. राज्य में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम की नींव राज्यसभा चुनावों से शुरू हुई थी. यहां राज्यसभा चुनावों में 113 विधायकों वाली बीजेपी के पक्ष में 123 वोट पड़े थे और एमएलसी चुनाव में यह ताकत और बढ़ती दिखाई दी. सोमवार को हुए एमएलसी चुनावों में बीजेपी को 134 विधायकों का समर्थन हासिल हुआ और बीजेपी 5 कैंडीडेट को जिताने में सफल रही. वहीं शिवसेना को 55 विधायकों के बाद भी केवल 52 वोट ही हासिल हुए.

106 सीटें जीतने के बाद भी सत्ता से दूर रही बीजेपी

महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए यहां किसी भी दल को 145 विधायकों जरूरत होती है. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 106 सीटें जीतने में कामयाब रही पर सत्ता से दूर रही. इसके बाद 56 सीटों वाली शिवसेना, 53 सीटों वाली एनसीपी और 44 सीटों वाली कांग्रेस ने महाविकास अघाड़ी के बैनर तले गठबंधन की सरकार बनाई. सरकार बनने पर कुछ निर्दलीय और अन्य का समर्थन भी सरकार को मिला. इस तरह उद्धव सरकार के पास 169 विधायकों का समर्थन था.

टूट सकते हैं एनसीपी-कांग्रेस के भी कुछ विधायक

एमएलसी चुनाव के बाद यह तय हो गया है कि बीजेपी को 134 विधायकों का समर्थन हासिल है और सरकार बनाने के लिए उसे 11 विधायकों का समर्थन चाहिए. उधर, एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के दो दर्जन से अधिक विधायक इस समय उद्धव ठाकरे के संपर्क में नहीं हैं और माना जा रहा है कि वे बीजेपी के संपर्क में हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस और एनसीपी के कुछ विधायक भी बीजेपी के पाले में जा सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के लिए संकट तो पैदा होगा ही, एनसीपी और कांग्रेस उधर, शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के दो दर्जन विधायक उद्धव ठाकरे के संपर्क में नहीं हैं। माना जा रहा है ये विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस और एनसीपी के भी कुछ विधायक भाजपा के पाले में जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के लिए नया संकट खड़ा हो सकता है.

तोड़फोड़ से महाराष्ट्र में बीजेपी की लग सकती है लॉटरी

महाराष्ट्र में वैसे तो सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए पर इस समय कुछ विधायक या तो जेल में हैं या फिर पद रिक्त है तो सरकार बनाने के लिए 143 विधायक ही चाहिए. उद्धव सरकार के पास फूट से पहले 153 विधायकों का समर्थन हासिल था. इसमें से अगर करीब दो दर्जन विधायक शिवसेना का साथ छोड़ देते हैं तो सरकार अल्पमत में आ जाएगी. दूसरी ओर, बीजेपी के पास 106 विधायक हैं और एनडीए के कुल विधायक 113 हैं. इसलिए वह सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है. बीजेपी अगर सरकार बनाती है तो उसे अन्य और कुछ निर्दलीय विधायकों का साथ भी मिल सकता है.

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