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- लखीमपुर की हिंसा पर...
लखीमपुर की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या कहा, मंत्री अजय और उनके बेटे ने क्या कहा
किसानों के विरोध प्रदर्शन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने लखीमपुर खीरी की घटना का ज़िक्र किया.
उन्होंने कोर्ट में घटना पर दुख जताते हुए कहा कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं नहीं होनी चाहिए और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी इस तरह की घटनाएं होती हैं तो कोई इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेता है.
जस्टिस एएम खनविलकर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा, "हम देखेंगे कि विरोध प्रदर्शन के अधिकार का मुद्दा क्या वास्तव में एक मूलभूत अधिकार है."
दरअसल किसान महापंचायत ने सुप्रीम कोर्ट में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी हुई है. एजी ने कहा कि अगर न्यायालय चाहे तो इस मामले को ट्रांसफ़र करते हुए इसे समाप्त कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल किया कि अगर कोई मामला न्यायालय में लंबित है तो उस पर कैसे प्रदर्शन हो सकता है.
एजी ने कहा कि इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, इस पर प्रदर्शन नहीं होने चाहिए. एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना कल लखीमपुर में हुई है. उन्होंने कहा कि अब और कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होना चाहिए ताकि लखीमपुर खीरी जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके.
किसान महापंचायत की तरफ़ से पैरवी कर रहे एडवोकेट अजय चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदर्शन स्थल के आस-पास रास्तों में खड़े किए गए अवरोधकों में किसानों की कोई भूमिका नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हम ने तीन कृषि क़ानूनों पर स्थगन आदेश दे रखा है तो किसान क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं. जब आपने अदालत के समक्ष क़ानून को चुनौती दे रखी है तो आप विरोध प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं? इन विरोध प्रदर्शनों की वैधता क्या है?
अदालत ने ये भी पूछा कि जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने का क्या तुक है? आप दोनों चीज़ें एक साथ नहीं कर सकते हैं. आप एक क़ानून को चुनौती भी देंगे और फिर विरोध प्रदर्शन करेंगे. या तो आप अदालत जाएं या संसद में या फिर सड़कों पर?
लखीमपुर हिंसा पर केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे ने बताया
लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्र से बात और उनका पक्ष जानने की कोशिश की. उन्होंने आरोंपों पर क्या कहा? केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्रा ने कहा, "मैं सरकार से और आप मीडिया के बंधुओं से केवल इतना ही आग्रह करता हूं कि सत्यतापूर्वक जांच हो और जो भी दोषी हो उसको दंड मिले."
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का स्पष्टीकरण
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र ने बीबीसी से कहा कि "जो लोग आए थे, आंदोलन करने के लिए भी, वो भी बाहर से बुलाकर लाए गए लोग थे. हमारे ज़िले के लोग कभी भी इस तरह के आंदोलनों में शामिल नहीं होते हैं. क्योंकि जिन लोगों की मृत्यु की ख़बर भी आ रही है, वो भी हमारे ज़िले के रहने वाले नहीं हैं. वो नालपाड़ा, बहराइच के रहने वाले लोग हैं. और जिस तरह से हमारे कार्यकर्ताओं पर आक्रमण किया गया है, इससे लगता है कि कुछ उपद्रवी तत्व ज़रूर किसानों के सम्मेलन में दूसरे ज़िलों में आकर इसमें शामिल हुए थे और उन्होंने इस तरह की घटना को अंज़ाम दिया."
इससे पहले उन्होंने कहा था कि उनके बेटे पर लगाया जा रहा ये आरोप कि वो गाड़ी चला रहे थे, ये सरासर झूठ है. उन्होंने कहा, "वो, मैं या मेरे परिवार का कोई भी सदस्य उस वक़्त वहां मौजूद ही नहीं था."
अजय मिश्र ने बताया, "जैसी कि आप सबको जानकारी है कि हमारे पैतृक गांव में प्रतिवर्ष कुश्ती प्रतियोगिता का कार्यक्रम होता है. इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बतौर मुख्य अतिथि आज माननीय उपमुख्यमंत्री जी को आना था और लखीमपुर में पीडब्ल्यूडी का कार्यक्रम था वो करके हम दोनों लोग साथ आ रहे थे."
"जब हम कार्यक्रम स्थल से थोड़ी दूर थे तो हमारा रूट यह बता कर डायवर्जन कर दिया गया कि कुछ किसान वहां पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और काला झंडा दिखाने की कोशिश करेंगे. हमलोगों का रूट परिवर्तित हो गया उसके बाद हमारे कार्यकर्ता चार पांच गाड़ियों से हमें लेने आ रहे थे. उन कार्यकर्ताओं पर किसानों के बीच शामिल अराजक तत्वों ने पथराव किया. इसकी वजह से वो गाड़ियां रुकीं."
"गाड़ियों से खींच कर हमारे कार्यकर्ताओं को लाठी, डंडे और तलवारों से पीटा गया. इसका वीडियो हमारे पास है. फिर गाड़ियों को धक्का देकर गड्ढे में गिराया गया. उन गाड़ियों को जलाया गया. उसके साथ साथ दूसरी गाड़ियों में भी भारी तोड़फोड़ की गई."
"इस दुखद घटना में हमारे तीन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की मृत्यु हुई है. ड्राइवर की भी मृत्यु हुई है. साथ ही 10 से 12 लोग घायल हुए हैं. यह बेहद दुखद घटना है जो इस आंदोलन में घुसे उपद्रवियों ने की है. जब से ये किसान आंदोलन शुरू हुआ है, बब्बर खालसा से लेकर अनेक उपद्रवी संगठन हमारे देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश में लगे हैं. किसान आंदोलन को चलाने वाले लोगों को भी इन बातों को समझना चाहिए.