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मुद्दा यह नहीं कि हार्दिक पटेल ने कांग्रेस क्यूं छोड़ी. मुद्दा यह है कि हार्दिक पटेल जाएंगे कहां और उसका कांग्रेस पर चुनावी साल में क्या असर होगा?
Where will Hardik Patel go and what will be its impact on Congress in the election year
Vishwa Deepak
मुद्दा यह नहीं कि हार्दिक पटेल ने कांग्रेस क्यूं छोड़ी. मुद्दा यह है कि हार्दिक पटेल जाएंगे कहां और उसका कांग्रेस पर चुनावी साल में क्या असर होगा? दूसरी अहम बात यह है कि कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को क्यों जाने दिया?
हार्दिक कहां जा सकते हैं इसका संकेत उन्होंने अपने इस्तीफेनामे में खुलकर दे दिया है. बीजेपी से गुजराती पटेलों का डीएनए वाला रिश्ता है. इस डीएनए की खेती, सरदार पटेल बनाम पंडित नेहरू की ज़मीन पर, कई दशकों से जारी है.
कांग्रेस ने पटेल को रोका क्यूं नहीं? मैंने जो बात उपर वाली लाइन में कही है कांग्रेस उसको भलीभांति जानती है. इसीलिए कांग्रेस का फोकस गुजरात के आदिवासियों और दलितों पर ज्यादा है, पटेलों पर कम. कांग्रेस मुसलमान, दलित और आदिवासियों (MDA) का संयोजन तैयार कर रही है.
लेकिन सबसे अहम कारण है गुजरात की पटेल पॉलिटिक्स. गुजरात में पटेलों यानि सबसे ताकतवर जाति का दलितों के साथ संघर्ष, कट्टर हिंदुत्व की छौंक के साथ बेहद तीखे रूप में सामने आ रहा है. इस संघर्ष में कांग्रेस दलितों के साथ है. स्वाभाविक है हार्दिक खुद को उपेक्षित महूसस कर रहे थे.
कांग्रेस के लिहाज से सबसे उदास करने वाली बात यह है कि वह जिस घोड़े पर दांव लगा रही है उसकी वास्तविक ताकत हार्दिक के सामने कुछ भी नहीं.
बहुत से लोग जानकर हैरान होंगे कि जिग्नेश मेवानी अब तक कांग्रेस के सदस्य नहीं बने हैं. उनका ट्विटर बायो निहार आइए. कारण? अगर वो कांग्रेस की सदस्यता लेंगे तो उनकी विधायकी छिन जाएगी. लोग मज़ाक में कहते हैं कि मेवानी की कांग्रेस में लैटरल एंट्री हुई थी. जब विधनसभा भंग होगी तब वो कांग्रेस की सदस्यता लें पाएंगे. उधर, हार्दिक बकायदा गाजे-बाजे के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे.
मैंने पाटीदार आंदोलन का उरूज देखा है. उसकी थकावट और सुस्ती भी देखी है. जिस रैली में हार्दिक कांग्रेस में शामिल हुए थे उसी सुबह अहमदाबाद में उनसे लंबी बातचीत हुई थी. चाय नाश्ते पर हुई बातचीत में मैंने जो नोट किया था वह था गुजराती अस्मिता के प्रति हार्दिक का झुकाव. आज वो झुकाव एक निर्णय के रूप में सामने है. गुजरात से बीजेपी को आउट करना उतना आसान नहीं. बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी, हर किस्म की कुर्बानी के लिए तैयार होना होगा.