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माघ माह में राशि अनुसार कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं, जानें इसका धार्मिक महत्व व कथा
हिंदू धर्म में हर महीने का अपना महत्व है. पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2022) के बाद हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए माह की शुरुआत हो चुकी है. माघ माह (Magh Month) को हिंदू धर्म में पवित्र महीना माना जाता है. इस माह में दान, स्नान, उपवास और तप का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए इस माह में लोग हरिद्वार और प्रयागराज जैसे धार्मिक स्थलों पर गंगा स्नान के लिए जाते हैं. माघ माह में संगम तट पर कल्पवास करने का भी विधान है. धार्मिक दृष्टि से कल्पवास करने वाला व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है.
17 जनवरी को पौष पूर्णिमा के बाद 18 जनवरी से माघ माह की शुरुआत हो चुकी है. जो कि 16 फरवरी 2022 तक चलेगा. पुराणों में पहले इसे माध का महीना कहा जाता था, जिसे बाद में माघ के नाम से जाना जाने लगा. इस महीने में स्नान-दान करने अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है। सभी पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए देशभर से भक्त पहुंचते हैं। तीर्थ स्थान और तीर्थ दर्शन जरूर करना चाहिए। अगर किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय तीर्थों का और नदियों का ध्यान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें।
माघ मास में किए गए शुभ कामों से जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं। राशि अनुसार किए गए शुभ कामों से कुंडली से संबंधित ग्रह दोष शांत हो सकते हैं।
मेष : इन लोगों को पानी में लाल फूल डालकर स्नान करना चाहिए। लाल मसूर दान करें।
वृषभ : इस राशि के लोग पानी में दूध डालकर स्नान करें। शिव जी को खीर का भोग लगाएं।
मिथुन : मिथुन राशि के लोगों को पानी में थोड़ा सा गन्ने का रस मिलाकर स्नान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को हरे मूंग का दान करना चाहिए।
कर्क : कर्क राशि के लोगों को जल में थोड़ा सा गाय का दूध मिलाकर स्नान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को आटे का दान करें।
सिंह : ये लोग पानी में थोड़ा सा केसर मिलाएं और स्नान करें। तांबे के लोटे का और अनाज का दान करें।
कन्या : कन्या राशि के लोगों को पानी में शहद मिलाकर स्नान करना चाहिए। किसी मंदिर में हरे मूंग का दान करें।
तुला : ये लोग पानी में दूध मिलाकर स्नान करें। खीर का दान करें।
वृश्चिक : इन लोगों को पानी में थोड़ा सा लाल चंदन मिलाकर स्नान करना चाहिए। जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं।
धनु : इस राशि के लोग पानी में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर स्नान करें। चने की दाल का दान जरूरतमंद लोगों को करें।
मकर और कुंभ : ये लोग पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद गरीबों को पूड़ी-सब्जी खिलाएं।
मीन : ये लोग पानी में हल्दी मिलाकर स्नान करें। किसी गरीब व्यक्ति को हल्दी और पीले वस्त्र का दान करें।
हर माह का अपना एक अलग महत्व होता है. माघ मास से एक पौराणिक कथा जुड़ी है, जो काफी प्रचलित है. कथा के अनुसार, गौतमऋषि ने माघ मास में इन्द्रेदव को श्राप दिया था. इन्द्रेदव द्वारा क्षमा याचना करने के बाद भी गौतम ऋषि नहीं माने और उन्होंने माघ मास में ही इन्द्रेदव को गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने को कहा, जिसके बाद इन्द्रेदव ने गौतम ऋषि की बात मानते हुए गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्रदेव को गौतमऋषि के श्राप से मुक्ति मिली थी, इसीलिए इस माह में माघी पूर्णिमा व माघी अमावस्या के दिन का स्नान पवित्र माना जाता है.
माघ माह की धार्मिक कथा
प्राचीन काल में शुभव्रत नाम का एक ब्राह्मण नर्मदा तट पर वास करता था. शुभव्रत को वेद-शास्त्रों का अच्छा ज्ञान अर्जित था. स्वभाव से शुभव्रत धन संग्रह करने की प्रवृत्ति वाले थे. काफी समय बीत जाने के बाद जब वे वृद्धा अवस्था में पहुंचे, तब तक वे कई रोगों से ग्रसित हो चुके थे. इस स्थिति उन्हें आभास हुआ कि उन्होंने अपना सारा जीवन सिर्फ धन संग्रह करने में गवां दिया.
उन्होंने विचार किया कि अब मुझे परलोक सिधार जाना चाहिए. इस बीच उन्हें एक श्लोक स्मरण हुआ, जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी. उसी समय उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति..' इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे. शुभव्रत ने 9 दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और 10वें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया.