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किसने सबसे पहले उठाई थी आवाज, इन कृषि कानूनों के खिलाफ ?
भारतीय किसान यूनियन (अअ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह ने किया डॉ राजाराम त्रिपाठी का किया भव्य नागरिक सम्मान, दिया गया अभिनंदन-पत्र,
बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के विश्वस्त सहयोगी रहे ,75 साल के युवा, उच्च शिक्षित तथा प्रखर वक्ता चौधरी हरपाल सिंह ने गाजीपुर बॉर्डर पर संभाल रखी है कमान,
पत्नी तथा युवा पुत्र के खोने के बाद भी किसान हित में संघर्ष में जुटे हुए हैं चौधरी हरपाल सिंह जी,
देश के किसान आंदोलन अग्रणी कृषक संगठन "भारतीय किसान यूनियन" (अराजनैतिक असली) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी हरपाल सिंह जी ने अन्य किसान नेताओं के साथ डॉ राजाराम त्रिपाठी का कल अभिनंदन करते हुए उन्हें देश के किसानों के लिए दी गई विशिष्ट सेवाओं तथा संघर्ष हेतु अभिनंदन पत्र प्रदान किया। चौधरी हरपाल सिंह बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के सबसे विश्वस्त साथियों में से एक तथा भारतीय किसान यूनियन के अग्रणी राष्ट्रीय किसान नेता रहे हैं।
लगभग 75 वर्ष की आयु थी अपने समय के स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त चौधरी हरपाल सिंह देश की किसान राजनीति तथा खेतीबाड़ी से जुड़े पहलुओं और मुद्दों की गहरी समझ रखते हैं। हालिया किसान आंदोलन के सबसे वरिष्ठ तथा अनुभवी किसान नेताओं में उन्हें शुमार किया जाता है। किसान आंदोलन को नेतृत्व करने वाली तथा किसानों की ओर से सरकार से वार्ता करने वाली एक 40 सदस्य दल के वरिष्ठ सदस्य हैं, तथा किसानों का पक्ष पूरी प्रखरता तथा प्रबलता से रखने के लिए जाने जाते हैं।
सम्मानित किए गए,डॉ राजाराम त्रिपाठी 45 से अधिक किसान संगठनों के महासंघ, भारतीय कृषक महासंघ (आइफा) के 'राष्ट्रीय संयोजक हैं ,किसान विरोधी तीनों किसान कानूनों का अध्यादेश 5 जून को आते ही, सर्वप्रथम देश को इसकी गंभीर खामियों से तर्कसंगत तरीके से अवगत कराते हुए अपना प्रबल विरोध दर्ज किया था। किसान आंदोलन के दौरान एक सड़क दुर्घटना में सपत्नीक गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वे लगातार इन तीनों कानूनों के विरोध में सड़क पर, समाचार पत्रों में, टीवी चैनलों सहित हर मंच पर तर्कसंगत वीरतापूर्ण विरोध किया तथा किसान आंदोलन में लगातार सार्थक सहयोग तथा प्रभावी संयोजन करते रहे हैं।
देश के कृषक हित में उनके इस अनमोल योगदान हेतु भारतीय किसान यूनियन गाजीपुर मोर्चा दिल्ली में दो फरवरी को उनका सार्वजनिक अभिनन्दन करते हुए , भारतीय किसान यूनियन की ओर से उन्हें यह अभिनंदन पत्र सादर प्रदान किया जाता है, तथा उनके सुखी सफल भविष्य की शुभकामना की गई। देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक आदिवासी बहुल जिला कोंडागांव बस्तर के रहने वाले डॉ राजाराम त्रिपाठी अपनी भारत में हर्बल की खेती के लिए आज से 20 साल पहले, देश का सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले किसान के रूप में जैविक तथा बस्तर के हजारों आदिवासी किसान परिवारों को अपने साथ जोड़ते हुए जैविक औषधीय खेती में विगत दो दशकों से किए गए जा रहे सफल नवाचारों के लिए जाने जाते हैं। खेती को लाभदायक बनाने के अपने सफल प्रयोगों के लिए उन्हें दो बार देश के सर्वोत्कृष्ण किसान अवार्ड के साथ ही देश विदेश से दर्जनों अवार्ड भी मिल चुके हैं।