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शंकराचार्य मनुस्मृति पर आधारित क्रूर जाति व्यवस्था के हिमायती और एक प्रवक्ता थे: केरल के मंत्री एमबी राजेश
केरल सरकार के मंत्री और सीपीएम नेता एमबी राजेश ने हिंदू वैदिक दार्शनिक आदि शंकराचार्य को लेकर विवादित बयान दे दिया है।
एक कार्यक्रम के दौरान कही ये बात
केरल के वर्कला स्थित शिवगिरि मठ के एक कार्यक्रम में मंत्री राजेश ने ये बातें कहीं। उन्होंने आदि शंकराचार्य और श्री नारायण गुरुदेव की तुलना करते हुए कहा कि नारायण शंकराचार्य की आलोचना करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केरल में यदि कोई आचार्य हैं तो वे हैं श्री नारायण गुरु, न कि शंकराचार्य।
शंकराचार्य मनुस्मृति पर आधारित क्रूर जाति व्यवस्था के हिमायती थे
एमबी राजेश ने आरोप लगाया कि आदि शंकराचार्य मनुस्मृति पर आधारित क्रूर जाति व्यवस्था के हिमायती थे। श्री नारायण गुरु ने जाति व्यवस्था खत्म करने के लिए काम किया। शंकराचार्य ने न केवल जाति व्यवस्था का समर्थन किया, बल्कि इसके प्रवक्ता भी रहे। राजेश ने यह भी कहा कि श्री नारायण गुरु ने जाति व्यवस्था का समर्थन करने वाले शंकराचार्य की आलोचना की है।
श्री नारायण गुरु का हवाला देते हुए मंत्री राजेश ने कहा कि शंकराचार्य समाज में जाति व्यवस्था की जड़ें जमाने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शंकराचार्य के बाद श्री नारायण गुरु का स्थान है, सही नहीं हैं। गुरु वे हैं, जिन्होंने शंकराचार्य की आलोचना की है। श्री नारायण गुरु ने कहा है कि जाति व्यवस्था ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है और इसके लिए शंकराचार्य भी जिम्मेदार हैं।
केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने कड़ी आलोचना की है।
केरल के मंत्री राजेश के बयान की केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने कड़ी आलोचना की है। मुरलीधरन ने एक बयान में कहा कि आदि शंकराचार्य और श्री नारायण गुरुदेव एक ही भारतीय परंपरा के थे। दोनों ने एक ही दृष्टि सामने रखी है। मुरलीधरन ने कहा, 'एमबी राजेश ने हिंदू धर्म में विभाजन पैदा करने की कोशिश की। झूठा प्रचार माकपा की सवर्ण-अवर्ण मानसिकता पैदा कर एक वर्ग का वोट हासिल करने की एक चालाक चाल है। शंकराचार्य का अनादर करने वालों को उसी तरह से अपमानित कर खारिज कर दिया जाएगा, जिसके वे लायक हैं।