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जंगल में बसा है आद्रवन का लेहड़ा देवी मंदिर,जहां श्रद्धालुओं की लगती है भारी भीड़
माता के शक्तिपीठ के रूप में श्रद्धालुओं के लिए आद्रवन लेहड़ा देवी मंदिर आस्था का केंद्र है. मां के दरबार में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. वैसे तो यहां पूरे साल ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के दिनों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है. मां के प्रति एक नाविक के कुचक्र और पांडव काल की कहानियों से जुड़े इस मंदिर में हर साल लाखों लोगों की भीड़ होती है
जानिए इतिहास
यह मंदिर महाराजगंज जिले के फरेंदा में स्थित है. लेहड़ा माता का भव्य मंदिर के बारे में कहा जाता है कि "कई हजार साल पहले यहां पर एक नदी बहती थी, जहां एक दिन माता एक किशोरी का रूप रखकर गईं और नाविक से नदी पार कराने को कहा. मां की सुंदरता पर आसक्त हो नाविक ने उनसे छेड़खानी करनी चाही तो उस पर कुपित होकर मां ने नाविक और नाव के साथ उसी पल जल समाधि ले ली. आज भी यहां वही नदी बहती है।"
एक दूसरी कहानी के अनुसार "महाभारत काल में यहीं पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने मां की आराधना की थी और द्रौपदी के आंचल फैलाकर आशीर्वाद मांगने पर मां ने पांडवों को विजय श्री का आशीर्वाद दिया था"।
भक्तों की मुरादें होती हैं पूरी
इस मंदिर में एक प्रथा है कि जो भी अपने आंचल में हिजड़ों से नृत्य करवाता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. जिसके चलते यहां पर हर समय नृत्य का आयोजन होता रहता है. यहां पर शादी विवाह के कार्यक्रम भी होते रहते हैं.
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित इस मंदिर पर जिस तरह भक्तों का हुजूम रहता है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि मां के दरबार में हाजिरी लगाने से सारे पाप कट जाते हैं. मां सभी भक्तों की मुराद पूरी करती है।