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शादी के 9 साल बाद आया लव जिहाद का मामला, बच्चों का खतना कराने की बात पर खुली हकीकत, अमित नहीं इकरार कुरैशी से ..
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा में लव जिहाद (Agra Love Jihad) का बड़ा मामला सामने आया है। दो बच्चों की मां को शादी के नौ साल बाद पता चला कि उसका पति एक हिंदू नहीं, मुस्लिम है। बच्चों के खतना कराने और घर में बने मंदिर को बाहर फेंकने के मामले ने उस महिला के आंखों पर बंधी प्रेम की पट्टी को खोल दिया। फिर वह थानों के चक्कर काटने लगी। करीब दो साल बाद मामला दर्ज हुआ है। लव जिहाद के इस मामले को पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि मैं पीड़ित महिला से मिलने जा रही हूं। यह प्रणाली है, जिसमें एक व्यक्ति अपना नाम बदलकर और धर्म के नाम पर झूठ बोलकर महिला को फंसाता है। बाद में महिला पर धर्म बदलने का दबाव बनाता है। ऐसे मामलों में उन्होंने जीरो टॉलरेंस और तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है।
क्या है पूरा मामला
आगरा की एक लड़की रचना सोलंकी को मथुरा के युवक अमित कुमार से प्यार हो गया। मथुरा से वह अपने कथित मामा के यहां आगरा में रहने आया था। प्रेम बढ़ा तो लड़की ने लड़के को अपने माता-पिता से मिलाया। वह खुद को अनाथ बता रहा था। जब लड़की के माता-पिता से उसकी मुलाकात हुई तो उसने बताया कि उसके पिता की कई साल पहले मृत्यु हो चुकी है। उसकी मां सत्संगी बन गई है। अब वह किसी से नहीं मिलती है। रचना उस मुलाकात को याद करते हुए कहती हैं कि वह बातचीत काफी भावनात्मक थी। उसने रचना के माता-पिता को ही अपना माता-पिता के रूप मानने की बात कही। इसके बाद उनका प्यार शादी में बदल गई।
प्रेम विवाह था तो एक छोटे से समारोह में दोनों एक हो गए। उस समय अमित ने बताया था कि उसके पिता का नाम सुखराम सिंह है और मथुरा के धौरी प्याऊ का निवासी है। दोनों की शादी का कार्ड इसकी गवाही देते हैं। हिंदू रीति-रिवाज के साथ दोनों की शादी हो गई। इस शादी में अमित का कथित मामा ही मौजूद था। सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन, जैसे ही रचना के दोनों बेटे हुए, अमित ने अपना रंग बदला। असलियत खुलकर सामने आ गई। रचना को पता चला कि उसका नाम अमित कुमार नहीं, इकरार कुरैशी है। उसका पिता जीवित है। पिता का नाम इकराम कुरैशी है।
अमित उर्फ इकरार दोनों बच्चों का खतना कराना चाहता था। अमित उर्फ इकराम ने रचना का मंदिर घर से बाहर फेंक दिया। उसकी धार्मिक किताबें फाड़ दीं। यह सारी घटना वर्ष 2019 की हैं। अमित की असलियत सामने आने के बाद रचना अपने माता-पिता के पास लौट आई। अमित उर्फ इकरार के खिलाफ वह केस दर्ज कराने पुलिस के पास गई, लेकिन उसका मामला दर्ज नहीं किया गया। लेकिन, उसे एक थाने से दूसरे थाने टरकाया जाता रहा। इसके बाद कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया। रचना पिछले महीने इकरार के खिलाफ केस दर्ज कराने में सफल हुई है।
रचना की ओर से दर्ज कराए गए एफआईआर में अमित उफ इकरार के जुल्म की कहानी बयां की गई है। एफआईआर में लिखा गया है कि वर्ष 2013 में अमित कुमार ने सुकराम का बेटा बनकर मोती गार्डन मैरिज हॉल में हिंदू के रूप में मुझसे शादी की। अमित से दो बेटे हुए नक्ष और अक्षय। इनके जन्म के बाद अमित ने बुरा बर्ताव शुरू कर दिया। वह मुझे मांस खिलाने का प्रयास करता रहा, लेकिन मैंने उसे रोक दिया। वर्ष 2019 में नवरात्रि के मौके पर उसने मेरी पूजा की किताब को फाड़ दिया। जबरन मांस का टुकड़ा मुंह में घुसा दिया। घर में रखे गए मंदिर को भी उठाकर बाहर फेंक दिया।
एफआईआर में रचना ने कहा है कि रचना के साथ अमित उर्फ इकरार ने मारपीट की। धर्म छोड़ने का दबाव बनाया। मेरा शारीरिक उत्पीड़न करने लगा। इसके बाद मुझे जानकारी मिली कि अमित हिंदू नहीं है। उसने हिंदू बनकर मुझे धोखा देकर जाल में फंसाया। वह मेरा जबरन धर्म परिवर्तन कराना चाहता है। 12 जनवरी 2020 में कुछ मुसलमान मेरे घर आए थे और मेरे दोनों बच्चों का खतना करना चाहते थे। दोनों बच्चे चिल्लाने लगे। इस पर अमित ने कहा कि मैं पक्का मुसलमान हूं। मेरा नाम इकरार है। मेरे पिता का नाम इकराम है। दोनों बच्चे मेरे हैं। अगर खतना नहीं होने देगी और धर्म नहीं बदलेगी तो दोनों बच्चों को काटकर सूटकेस में भरकर फेंक दूंगा।
अमित उर्फ इकराम ने उनकी पिटाई शुरू कर दी। चिल्लाने की आवाज सुनकर मुहल्ले के लोग जुटे तो वे भाग गए। इसके बाद 15 जनवरी 2020 को अमित उर्फ इकरार का भाई इकबाल और बहनोई इकराम रचना के घर आए। उन्होंने धर्म परिवर्तन और बच्चों का खतना कराने का दबाव डाला। ऐसा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी। दबाव में नहीं आने पर मारपीट और लूट-पाट कर भाग गए। इस एफआईआर में रचना ने अमित उर्फ इकरार के वहशियत का भी जिक्र किया है।
रचना सोलंकी की शिकायत पर आगरा के जगदीशपुरा थाने में 18 जून 2022 को केस दर्ज किया गया। अमित उर्फ इकरार के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए (शादीशुदा महिला से ससुराल में क्रूरता), 420 (धोखाधड़ी), 406 (फर्जीवाड़ा), 323 (मारपीट), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमानित करना), 506 (धमकी), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार), 295ए (धार्मिक भावना आहत करने) और 120बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया है। 15 जनवरी 2020 की घटना को आधार बनाते हुए केस दर्ज किया गया है।
उठ रही कड़ी कार्रवाई की मांग
आगरा में लव जिहाद के आए इस मामले ने माहौल को गरमा दिया है। पुलिस की ओर से लव जिहाद की धारा नहीं जोड़े जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि, इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि धर्म परिवर्तन नहीं होने के कारण इस धारा को नहीं जोड़ा गया है। रचना के समर्थन में अब लोगों का जुटान शुरू हो गया है। उन्हें इंसाफ की आवाज उठने लगी है। साथ ही, इस प्रकार की धोखाधड़ी के मामलों में कड़ी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।