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क्या योगी आज ताजमहल का नाम बदलकर करेंगे एक वादा पूरा या फिर ?
शिव कुमार मिश्र
26 Oct 2017 9:16 AM IST
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जावेद मंसूरी संवाददाता, एबीपी न्यूज़
आज योगी आदित्यनाथ आगरा आ रहे हैं. उनका कार्यक्रम दुनिया भर में मशहूर ताजमहल में शाहजहां- मुमताज़ के मकबरे पर भी जाने का है. लेकिन सवाल ये है कि क्या योगी ताजमहल का नाम बदलेंगे? आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल है? लेकिन मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी आदित्यनाथ लगातार ताजमहल का नाम बदलने की बात कहते रहे हैं.
27 फरवरी को एबीपी न्यूज़ ने यूपी चुनाव के दौरान गोरखपुर में घोषणापत्र कार्यक्रम आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में मैंने योगी जी से सवाल पूछा था कि क्या योगी जी इस गोरखपुर को हिंदुत्व की लैबोरेट्री बनाकर रख दिया है! उर्दू बाज़ार का नाम हिंदी बाजार और अली नगर का नाम आर्य नगर रखा. ये सिलसिला कहां जाकर रुकेगा.
इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "होना चाहिए, बिल्कुल होना चाहिए. अतीत के गौरव को वर्तमान के साथ जुड़ना चाहिए. अली का मतलब कहां है गोरखपुर से, आर्यो का है. अगर अतीत के गौरवशाली पलों के साथ वर्तमान समाज जुड़ता है तो मुझे लगता है उसके सामने ढेर सारी संभावनाएं होंगी. हम किसी संकीर्ण दायरे में चलने के बजाए हाईवे पर चलें. हाईवे पर चलने के लिए रास्ता तय किया जा रहा है."
मेरे सवाल के विस्तार देते हुए कार्यक्रम को होस्ट कर रहे एबीपी न्यूज़ के वरिष्ठ एंकर दिबांग ने पूछा कि क्या आप ताजमहल का भी नाम बदल देंगे? इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सबका नाम बदलेंगे. दिबांग ने जब पूछा कि क्या होगा ताजमहल का नाम? तो आदित्यनाथ ने कहा कि आप सुझाव दीजिये. आप जो तय करेंगे वो हम रख देंगे. मतलब नाम बदल देंगे लेकिन नाम नहीं सोचा. इस सवाल पर योगी ने कहा कि समय आने दीजिये इंतज़ार करिए.
लोकतंत्र में अपने नेताओं को उनके किये वादे याद दिलाते रहना चाहिए. प्रचंड बहुमत पाकर योगी आदित्यनाथ सत्ता में आये थे. मौका भी है और इन दिनों ताजमहल ज़ेरे बहस भी. हाल ही मैं उनकी पार्टी के ही विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को भारतीय संस्कृति पर धब्बा बताया था. ताजमहल धब्बा नहीं है ये तो योगी जी इस दलील के साथ नकार चुके हैं कि ताजमहल भारतीय मज़दूरों के खून पसीने से बना है.
लिहाज़ा योगी जी के पास अपने उस वादे को निभाने का मौका है जो वो करते रहे हैं. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो क्या ये माना जायेगा कि अतीत के गौरवशाली पलों को वर्तमान से जोड़ने की जो बात कही गयी थी क्या वो महज़ वोट पाने की 'ट्रिक' थी? क्या 'नाम बदलने' की सियासत महज़ धुर्वीकरण की आग को हवा देने के लिए होता है? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर नेताओ के साथ साथ देश के नागरिकों को भी सोचने की ज़रूरत है.
शिव कुमार मिश्र
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