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नजरिया बदल कर देखो तो कुछ हीरोज या शीरोज बॉलीवुड को छोड़कर हमारे इर्दगिर्द भी बहुतेरे मिल जाएंगे, जानिए एक एसी कहानी
रामभरत उपाध्याय
नजरिया बदल कर देखो तो कुछ हीरोज या शीरोज बॉलीवुड को छोड़कर हमारे इर्दगिर्द भी बहुतेरे मिल जाएंगे। उनमें से बहुतों में आपको नारी सशक्तिकरण की मिसाल भी सहजता से देखने को मिल सकती है।आइये एक ऐसी ही शख्सियत से रूबरू कराता हूँ आपको:-
नाम है "पूनम कुलश्रेष्ठ"। पूनम समाज की उन महिलाओं में से एक है जो परिवार के मुखिया पति या अन्य पुरूष सदस्य के साथ हर मोर्चे पर कदमताल ही नहीं करती वरन जरूरत या मुसीबत में उनसे दो कदम आगे निकलकर हिम्मत, हौसले व मेहनत से परिवार की गाड़ी को पटरी पर पुनः ले आती हैं।
पूनम का बचपन आगरा जनपद के किरावली-अछनेरा रोड पर स्थित "पुरामना"गांव में गुजरा।पूनम 4 बहनों व 2 भाइयों में अपने मातापिता की चौथी सन्तान है। पिता आर्मी सैनिक व मां सामान्य घरेलू महिला एवं घर में भारतीय रीति-नीति का पूरा अनुशासन व्याप्त था।
पूनम पढ़ने लिखने व बातचीत में ठीकठाक थी इसलिए उसने लड़-झगड़ के निकट किरावली के एक विद्यालय से 12वीं तक की परीक्षा औसत नम्बरों से पास कर लीं। गांव से किरावली स्कूल तक का सफर पूनम साइकिल से तय करती । 1980-90 के दशक में स्कूल-कॉलेजों में लड़कियों का पढ़ने का औसत बेहद कम था। भरे-पूरे स्कूलों में मुट्ठीभर वे ही लड़कियां पढ़ पाती थीं जो पुरुषवादी मानसिकता के तानों व शौहदों की फब्तियों का या तो जवाब देना जानती या सहन करना ।
12वीं के बाद पूनम का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन परिवारीजनों ने लोक-लाज को देखते हुए पूनम के हाथ पीले कर दिये। पूनम अब गांव से निकलकर आगरा शहर के एक मध्यवर्गीय परिवार की बहू बन गई। पति एक वित्तविहीन विद्यालय में पढ़ाने के साथ कुछ ट्यूशन भी कर लिया करते। शादी के बाद पूनम को "बैकुंठी देवी गर्ल्स डिग्री कॉलेज" से BA करने में कोई खास परेशानी नहीं आई।
अब तक पूनम 2 बेटियों की मां भी बन चुकी थी। भविष्य को देखते हुए पति की आमदनी बहुत कम थी इसलिए पूनम ने भी मौहल्ले के बच्चों को घर पर ही ट्यूशन देना शुरू कर दिया। पूनम का सामाजिक व्यवहार व टीचिंग स्किल काफी प्रभावी है जिसकी बदौलत उसने अपने क्षेत्र में काफी नाम कमाया।
इसी बीच पूनम ने एक विद्यालय में अध्यापन के साथ साथ NTT का कोर्स भी कर लिया। समय ने करवट ली पूनम के पति की सेहत आये दिन खराब रहने लगी। पति की नौकरी छूट गई। दो बेटियों के लालन-पालन एवं पढ़ाने-लिखाने का खर्चा बढ़ चुका था। संयुक्त परिवार से अलग अपना घर बनाने का काम शुरू होते ही पैसे के अभाव में रुक गया।
घर में नकारात्मक माहौल के बीच पूनम भी थोड़ी डगमगाई लेकिन जल्दी ही उसने खुद को संभाला। फिर पूनम ने अध्यापन के साथ साथ अन्य दूसरी नौकरी तलाशना भी शुरू कर दिया। भागदौड़ में मेहनत करके कुछ समय बाद पूनम ने AIR(आकाशवाणी) में ANNOUNCER(उदघोषक) का पार्ट टाइम काम प्राप्त कर लिया।
जुझारू पूनम ने फिर पति को अच्छे अस्पतालों में इलाज कराके पूर्णतः स्वस्थ कराया। फिर अगले एक दशक में अपनी दोनों बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलवाने के साथ साथ अपना नया घरोंदा यानी मकान भी बनवा लिया। वर्तमान में पूनम की बड़ी बेटी पढ़ाई के साथ साथ Thai Boxing and Thai Quando में राष्ट्रीय लेवल पर कई पदक जीत चुकी है और छोटी बेटी पढ़ाई के साथ साथ ताज महोत्सव जैसे मंचो पर अपनी डांसिंग प्रतिभा का लोहा मनवाती रही है। यह सब पूनम जैसी मां की परवरिश का ही कमाल है।इस पूरी यात्रा में उनके पति रजतपाल कुलश्रेष्ठ का पूरे मनोयोग से साथ रहा।
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