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आगरा से बुर्के में ले जाई गई युवती की कहानी निकली फ़िल्मी, जानकर उड़ जायेंगे होश
वसीम अकरम त्यागी
आगरा के ताजगंज क्षेत्र की एक युवती को 23 फरवरी को अगवा कर लिया गया था। युवती के परिजनो ने मेरठ निवासी महताब के ख़िलाफ शिकायत दर्ज कराई, महताब की पत्नी और दो भाभियो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। युवती को बीती रात दिल्ली के तिलक नगर से बरामद करने पर पता चला वह दिव्यांशू के साथ आई थी। युवती ने पुलिस को बताया कि महताब के साथ पूर्व में चले जाने के कारण परिजनों ने उस पर बंदिश लगा दी थी। वह नीट की तैयारी करना चाहती थी। मगर, परिजन इसके लिए तैयार नहीं थे।
जनवरी 2020 में वह बुआ के घर रहने चली गई थी। बुआ के बेटे नमित के दोस्त ग्वालियर निवासी दिव्यांशु चौहान से उसका संपर्क हो गया। उसने दिव्यांशु से नीट की तैयारी कराने को दिल्ली ले जाने का कहा, प्लान के अनुसार 23 फरवरी को दिव्यांशु अपने परिचित नीरज के साथ आगरा आया। दिव्यांशु कार में ही बैठा रहा। युवती को बुर्का पहनाकर रिंकू उसे अपने साथ दयालबाग स्थित अस्पताल से बाहर तक लाया। वहां से आटो में बैठाकर भगवान टाकीज चौराहा तक लाया।
यहां से रिंकू और दिव्यांशु के साथ युवती दिल्ली गई। दिल्ली के तिलक नगर में एक पीजी में वह रह रही थी। पुलिस दिव्यांशु की तलाश में ग्वालियर पहुंची तो पता चला कि वह 28 फरवरी को साइबर क्राइम के एक मामले में जेल जा चुका है। रिंकू अपनी पत्नी के साथ धार्मिक यात्रा पर गया है। पुलिस रिंकू की गिरफ्तारी के प्रयासय कर रही है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि युवती के अपहरण में महताब का हाथ है या नहीं। इसकी पुलिस जांच कर रही है। मंगलवार को युवती का मेडिकल कराने के बाद पुलिस कोर्ट में बयान कराएगी।
इस 'ड्रामे' में सच्चाई क्या है, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन सवाल है महताब की पत्नी, और उसकी दो भाभियों को किस जुर्म में जेल भेजा गया? अगर यह भी मान लिया जाए कि यह तथाकथित अप्रहण महताब द्वारा ही किया गया था, तब भी उसकी पत्नी और उसकी भाभियों का जुर्म क्या है? क्या आईपीसी में ऐसी भी कोई धारा है जिसमें अभियुक्त के गिरफ्तार न होने पर उसके परिजनो को जेल भेजा जाए? अपराधी कौन है?
वह जिसने अपराध किया, साजिश रची, हथियार दिया, या फिर वह जिसका अपराध से सिर्फ इतना ही नाता हो कि वह अपराधी का रिश्तेदार अथवा पारिवारिक सदस्य हो? अगर ऐसा है तो इसकी शुरुआत महताब के ही घर से क्यों की जा रही हैं, बड़े-बड़े अपराधी, अपराध करने के बाद पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं, कई लुटेरे तो बैंकों का पैसा लेकर विदेश भाग गए, क्या महताब की पत्नी, भाभियों को जेल भेजने वाली आईपीसी वहां लागू नहीं होती? या फिर यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है, कि अगर 'महताब' ने कोई जुर्म किया तो उनकी महिलाएं भी उसकी सजा भुगतेंगी? यह किस क़ानून के तहत किया गया है?