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गांवों को स्वावलम्बी व स्वशासित किये बिना देश की आजादी अधूरी है
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रामभरत उपाध्याय
गांवों को स्वावलम्बी व स्वशासित किये बिना देश की आजादी अधूरी है। इस आजादी को पूरी करने की दिशा में पंचायती राज अधिनियम बड़ी भूमिका निभा रहा है। गांव के लोग इसकी समझ लेकर अभिरुचि के साथ ग्राम स्वराज लाने में क्रांतिकारी कदम उठा सकते हैं।
ग्राम पंचायतें प्रधान-सेक्रेटरी केन्द्रित बनकर रह गई हैं। केंद्र व राज्य सरकारों की क्रियान्वयन एजेंसी से अधिक स्वायत्त रूप से कुछ बेहतर योजना बनाने व उसको धरातल पर उतारने की इच्छाशक्ति ग्राम प्रधान को विकसित करनी होगी। ग्राम प्रधान को पंचायत का संस्थागत विकास भी सुनिश्चित करना चाहिए।
गांव में सुशासन व खुशहाली के लिए ग्राम पंचायत के कार्यों में पारदर्शिता, सहभागिता, संसाधनों की पहचान व उनका सदुपयोग अति आवश्यक है। ग्रामसभा की मजबूती ही लोकतंत्र को सही मायने में स्थापित करेगी। ग्रामसभा के लिए इन उद्देश्यों को पूरा करने में GPDP बेहद कारगर है।
मैं विगत कुछ वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान एवं पंचायतीराज के माध्यम से पंचायतों में GPDP व CAPACITY BUILDING की ट्रैनिंग देने का छिटपुट काम उत्तर प्रदेश में कर रहा हूँ। मगर हम जैसे प्रशिक्षकों की पहुंच पंचायत प्रतिनिधियों तक ही हो पाती, गांव के मतदाता (ग्रामसभा सदस्य) इससे महरूम रह जाते हैं।इसलिए इन लोगों तक पहुंचने हेतु मैंने बाइक से गांवों में "उत्तर प्रदेश ग्रामीण जनचेतना अभियान" शुरू किया है जिससे अधिक से अधिक लोगों तक सही व जरूरी जानकारी पहुंचे। यह अभियान ग्रामसभा एवं पंचायत समितियों को मजबूत व सक्रिय करने, GPDP में संरचनात्मक विकास के साथ मानवीय, सामाजिक व पर्यावरणीय मुद्दों को जोड़ने की एक पहल है।