आगरा

अपनी भूतपूर्व कारगुजारियों के चक्कर में विपक्ष सरकार से जनहित के सवाल करने में भी शर्माता

Shiv Kumar Mishra
17 Aug 2020 5:17 AM GMT
अपनी भूतपूर्व कारगुजारियों के चक्कर में विपक्ष सरकार से जनहित के सवाल करने में भी शर्माता
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क्योंकि उनका दामन भी बहुत अधिक पाक साफ नहीं रहा है।

देश के मौजूदा हालातों में लोकतंत्र को और अधिक प्रभावी बनाने, विकास की गति में तेजी लाने के लिए एक मजबूत विपक्ष की भूमिका गैर भाजपाई दल नहीं निभा पा रहे हैं। क्योंकि उनका दामन भी बहुत अधिक पाक साफ नहीं रहा है।

आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में भी देश के सम्मुख गरीबी, भूंखमरी, पलायन, महामारियां, बेरोजगारी, अशिक्षा, साम्प्रदायिकता जैसी घातक समस्याएं विकराल रूप में थी।शुरुआती सरकारों ने इन समस्याओं से लड़ते हुए ही संविधान निर्माण, देशी रियासतों का विलय, औधोगीकरण, पंचवर्षीय योजनाएं, हरित क्रांति, दुग्ध क्रांति, साक्षरता अभियान, विज्ञान, चिकित्सा व उधोग के क्षेत्र में तमाम संस्थान व कीर्तिमान स्थापित किये।

इन उल्लेखनीय सफलताओं के साथ साथ राजनीति में परिवारवाद, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता व पूंजीवाद का बोलबाला भी बढ़ता रहा जिसके कारण दूसरे नये दल जनता के प्रिय होते गये फिर अन्य दलों ने भी चुनाव जीत कर सरकार बनाना शुरू किया।वर्तमान में अपनी गलतियों के कारण ही कोंग्रेस रसातल में जा चुकी है और भाजपा जनता के लुभावने सपनों पर सवार होकर मुख्य भूमिका में आ गई।

अपनी भूतपूर्व कारगुजारियों के चक्कर में विपक्ष सरकार से जनहित के सवाल करने में भी शर्मिंदगी महसूस कर रहा है।अतः ऐसी स्थिति में मीडिया, सरकार की स्वतंत्र एजेंसियों व देश के सम्भ्रान्त नागरिकों को ही विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करना होगा।अगर ऐसा नहीं होता है तो भाजपा भी बहुत जल्द कोंग्रेस की ही शक्ल अख्तियार कर लेगी क्योंकि ये मत भूलना कि आज की भाजपा में भी अधिकांश पुराने कोंग्रेसी ही हैं ।

नौकरशाही तो ब्रिटिश काल की है ही इसलिए ब्यूरोक्रेसी से अधिक उम्मीद करना बेमानी है।इसलिए है भारतीय नागरिकों उठो जागो व संविधान की प्रस्तावना के मूल भाव को जीवंत करो।

रामभरत उपाध्याय

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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