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अयोध्या राम मंदिर के लिए अलीगढ़ में तैयार हुआ 400 किलो का ताला, जानें क्या है खासियत
सुरेंद्र प्रताप सिंह
इस ताले को अलीगढ़ के सत्य प्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रुकमणी शर्मा ने तैयार किया है ताले के आकर्षण का केंद्र बनने का कारण उसका वजन और उसका साइज है, क्योंकि यह ताला 400 किलो का है. यह 10 फीट ऊंचा व 6 फीट चौड़ा है. वहीं, इस ताले को खोलने वाली चाबी भी 30 किलोग्राम वजनी है. इसके साथ ही 4 फीट लंबी है. ताले को तैयार करने वाले दंपति के मुताबकि, इस ताले को बनाने में एक लाख की लागत आई है.
करीब 65 वर्षीय सत्य प्रकाश मजदूरी पर ताला तैयार करते हैं. उनका कहना है कि कारोबार क्षेत्र में तो काफी पहचान बना ली है, अब इस कारोबार को नई पीढ़ी उड़ान दे. अलीगढ़ की पहचान बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ताला बनाकर तैयार कर दिया है. उन्होंने बताया कि छह इंच मोटाई का यह ताला लोहे का है. जिसमें चार फीट का ताले का कड़ा है. वहीं, इसके लिए दो चाबी तैयार की गई हैं. सत्य प्रकाश ने बताया ज़ी मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके इस कला व हुनर की सभी ने तारीफ की, लेकिन इस कला को निखारने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास की जरूरत है.
सत्य प्रकाश की पत्नी रुकमणी शर्मा ने भी ताले की खूबियां बताईं, उन्होंने कहा कि यह ताला आसानी से नहीं टूटेगा. श्रीराम मंदिर अद्भुत बन रहा है. ऐसे में वहां की हर चीज अद्भुत होनी चाहिए इसलिए अलीगढ़ का यह ताला मंदिर के लिए भेंट किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि अयोध्या भेजने से पहले इस ताले में कई बदलाव किए जाएंगे. आयरन का हुड़का, बॉक्स, लीवर को पीतल से तैयार किया जाएगा. इसके अलावा ताले की बॉडी पर स्टील की स्क्रैप शीट लगाई जाएगी. वहीं, सत्य प्रकाश का कहना है कि पीएम मोदी और सीएम योगी को पत्राचार करके 26 जनवरी की परेड में ताले को शामिल करने की गुहार लगाई है.
ताला बनाने के हुनर के माहिर ज्वालापुरी गली नंबर 1 के सत्य प्रकाश शर्मा पहले भी कई बड़े ताले बना चुके हैं. इनका 300 किलो का ताला खूब चर्चा में रहा था. इस रिकॉर्ड को उन्होंने अब 400 किलो का ताला बनाकर तोड़ा है. वे 40 साल से ताला निर्माण से जुड़े हुए हैं. उन्हें अपने पिता भोजराज शर्मा से ताला निर्माण की कला विरासत में मिली. इनकी पीढ़ी करीब 100 साल से इस कारोबार से जुड़ी हुई है.