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एएमयू पर इलज़ाम लगाने वाले बताएं कि महात्मागांधी का हत्यारा गोडसे आतंकवादी था कि नहीं
लखनऊ. रिहाई मंच ने एएमयू के छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा की गोडसे के वारिस एएमयू को बदनाम करने का षडयंत्र कर रहे हैं. मंच ने कहा की रिपब्लिक टीवी के अराजकतावादी पत्रकार आरएसएस के स्वयंसेवक की तरह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को ध्वस्त करने पर अमादा हैं. एएमयू को आतंकवाद का गढ़ बताने वाले गोडसे के वंशज बताएं की महात्मागांधी का हत्यारा गोडसे आतंकवादी था की नहीं.
रिहाई मंच नेता शाहरुख़ अहमद और रविश आलम ने कहा की अलीगढ़ में महात्मा गाँधी की दुबारा हत्या करने वालों ने एक बार फिर से एएमयू पर हमला बोला है जिसे इंसाफ पसंद अवाम बर्दाश्त नहीं करेगी. देशद्रोह का ये आरोप सिर्फ एएमयू के छात्रों पर नहीं बल्कि पूरे संस्थान को निशाने पर लेते हुए किया गया है. ऐसे में एएमयू प्रशासन को छात्रों के साथ खड़ा होना चाहिए. सिर्फ बैलेंस बनाने के लिए 4-4 छात्रों का निलम्बन कहीं न कहीं उन सांप्रदायिक तत्वों को बढ़ावा देगा जिन्होंने पिछले साल जिन्ना की तस्वीर पर विवाद और पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर हमले की साजिश की थी.
रिहाई मंच के मोहमद आरिफ़ ने कहा एएमयू को लगातार हिंदुत्वादी और फासिस्ट ताकतों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है. कभी जिन्ना तो कभी तिरंगा यात्रा तो कभी देशद्रोह के झूठे आरोप लगाकर एएमयू को बदनाम करने की कोशिश हो रही है. हालिया घटना क्रम भी पिछली जनवरी में तिरंगा यात्रा से शुरू हुआ था और माहौल को खराब करने की साजिश चल रही थी. 12 फ़रवरी 2019 को पूर्व नियोजित तरीके से पहले तो रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों को बाहरी अराजक तत्वों के साथ कैंपस में घुसाया गया और विश्वविद्यालय पर अशोभनीय टिप्पणी और छवि धूमिल करने की कोशिश की गई. हिंदूवादी संगठनों द्वारा मुसलमानों की राजनितिक भूमिका को लेकर हो रही बैठक को बहाना बनाकर एएमयू कैंपस में फायरिंग, आगजनी और गुण्डागर्दी की गई. इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका भी बहुत लचर और संदिग्ध है. चूँकि छात्रों और एएमयू प्रशासन द्वारा बार-बार तहरीर देने पर भी FIR नहीं लिखी गई. इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जाँच से पूरा सच सामने आ जाएगा.
एoएमoयू के छात्र नेता मोहम्मद अनस ने बताया कि एएमयू पर साजिशन दोहरा हमला कर बदनाम करने की साजिश की गई है. पहले तो रिपब्लिक टीवी के पत्रकार द्वारा आतंकवादियों की यूनिवर्सिटी कहा गया और बाद में भाजपा विधायक के पौत्र अजय सिंह व अन्य बाहरी आराजक तत्वों के साथ मिलकर फायरिंग, मारपीट, गाली गलौज और झूठे बयान लिखाए गए.
रिहाई मंच ने कहा की एएमयू भाजपा सरकार के दौरान लगातार हिंदूवादी संगठनों और फासीवादी ताकतों के निशाने पर रहा है. एएमयू छात्र संघ द्वारा आगामी चुनाव को लेकर मुसलमानों की भूमिका और उनके राजनितिक अधिकार पर विचार विमर्श के लिए एक बैठक बुलाई गई थी. ठीक उसी समय रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने बैठक में जबरन घुसने की कोशिश की. एएमयू के सिक्यूरिटी ऑफिसर द्वारा रोकने पर रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों ने हाथापाई किया. यूनिवर्सिटी को आतंकवाद का गढ़ कहते हुए सबके उपर देश द्रोह का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी भी दी. ठीक इसके बाद सुनियोजित तरीके से हिन्दुत्वादी संगठनों द्वारा विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने की कोशिश की गई. अराजक तत्वओं द्वारा परिसर में गोलियां चलाई गईं. तमंचे और असलहे लहराए गए. इससे पहले 26 जनवरी से पूर्व तिरंगा यात्रा के नाम पर एक रैली निकाली गई थी. जिसमें इसी तरह साम्प्रदायिकता भड़काने वाले नारे लगाकर माहौल खराब करने की कोशिश की गई थी. जिसपर विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को नोटिस भेजा था. पिछली बार नाकाम होने के बाद उसी साजिश के तहत 12 फ़रवरी को उन्हीं लोगों द्वारा एक बार फिर कैंपस में अराजकता फैलाकर एएमयू की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई है.