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डेढ़ सौ वर्ष पुराना इतिहास समेटे हुए है अलीगढ़ की नुमाइश,नवाब सल्तनत के दौरान दान में दी गई थी नुमाइश की जमीन
अलीगढ़: अलीगढ़ में हिंदू मुस्लिम गंगा जमुनी तहजीब के लिए लगाई जाने वाली नुमाइश इन दिनों सुर्खियों में है नुमाइश का उद्घाटन 1 फरवरी 2024 को किया गया है जो की 28 दिन तक चलेगा नुमाइश को लेकर बताया जाता है अंग्रेजों के बाद जब नवाबी सल्तनत लगी तो इस दौरान लोग मनोरंजन करने दूर दराज गांव व शहर जाया करते थे।
अलीगढ़ में मनोरंजन के साधन न होने के कारण नवाब सल्तनत के द्वारा अलीगढ़ में नुमाइश लगवाने का ऐलान किया। जिसमें मुफ्त में लोग मनोरंजन के साधनों को लाया करते थे और अलीगढ़ की अवाम का मनोरंजन किया करते थे धीरे-धीरे यह नुमाइश ऐतिहासिक बनती चली गई।
अलीगढ़ के थाना बन्ना देवी क्षेत्र के सामने मौजूद नुमाइश ग्राउंड अब नवाबी सल्तनत के बाद सरकार के खेमे में आ चुका है जिसकी देखरेख डीएम अलीगढ़ के हाथों में होती है डीएम अलीगढ़ के आदेश के बाद अलीगढ़ में नुमाइश लगाई जाती है नुमाइश के दौरान लोग दूर दराज के लोग यहां आते हैं साथ ही जम्मू कश्मीर नेपाल सहित अन्य देशों के लोग यहां पर मनोरंजन के साधन के साथ अपने देशों की मशहूर सामिग्री लाते हैं और दुकान लगाकर बिक्री करते है,साथ ही यहां झूले ,चरख,सहित अन्य चीजों से अलीगढ़ की अवाम का मनोरंजन करते हैं।
अलीगढ़ की नुमाइश में उर्दू शब्द को लेकर लंबे समय से कश्मकश चल रही थी जिसको लेकर अलीगढ़ के उर्दू के शायर व अन्य उर्दू के विद्वानों के द्वारा अलीगढ़ की नुमाइश शब्द को उर्दू में लिखने के लिए काफी प्रदर्शन किया इसके बाद अलीगढ़ की नुमाइश में जगह-जगह उर्दू में अलीगढ़ की नुमाइश लिखी जाती है।
मुकेश कुमार की रिपोर्ट
मुसर्रफ हुसैन उर्दू शायर व उर्दू विद्वान (सपा पार्षद) बोले