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वित्तविहीन शिक्षकों को दी जाने वाली सरकारी आर्थिक राहत से होगा शिक्षा में सुधार : डा रक्षपाल सिंह चौहान
अलीगढ़। 9अक्टूबर ।औटा के पूर्व अध्यक्ष डा रक्षपाल सिंह चौहान ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में इस समय 20 हज़ार से अधिक माध्यमिक एवं लगभग 6500 से अधिक महाविद्यालय हैं जिनमें प्रति वर्ष लाखों विद्यार्थियो का नामांकन होता है। जहाँ तक इनमें पठन-पाठन का प्रश्न है तो स्थिति अफसोसजनक है और उसके लिये जितने कालेजों के संचालक जिम्मेदार हैं,उससे कहीं अधिक विगत 25 वर्षों में उत्तर प्रदेश की सभी सरकारें रहीं हैं जिन्होंने इन शिक्षण संस्थानों को मान्यतायें तो दे दीं,लेकिन ये नहीं सोचा कि इन संस्थानों में शिक्षा प्रदान करने वाले क्वालिफाइड शिक्षकों को इन संस्थानो के संचालक वेतन कैसे दे पायेंगे?
इस मामले में सरकारों की सोच रही थी कि जिस तरह सी बी एस ई से संबद्ध स्कूलों में एक छात्र से लगभग 1लाख रु फीस मिल जाती है उसी तरह यूपी बोर्ड एवं विश्विद्यालयों से सम्बद्ध स्कूलों एवं महाविद्यालयों को प्रति छात्र फीस मिल जाया करेगी ,जबकि स्थिति ये है कि उसका दशांश फीस भी शिक्षण संस्थानों को नहीं मिलती। परिणामस्वरूप संचालकों को मानकों के अनुरूप क्वालिफाइड शिक्षकों की जगह 5 से 10 हज़ार प्रति माह पर कुछ शिक्षक रखकर काम चलाने को मजबूर होना पड़ता है तथा उसका दुष्परिणाम प्रदेश के लाखों विद्यार्थी प्रति वर्ष भुगतते हैं ।
डा . रक्षपालसिंह चौहान ने विश्वास जताया है कि प्रदेश सरकार द्वारा वित्तविहीन शिक्षकों को दी जाने वाली राहत से शिक्षा में सुधार होगा। उन्होने सरकार से मांग की है कि वह वित्त विहीन शिक्षकों को बेसिक स्कूलों के शिक्षामित्रों के समान आर्थिक सहायता प्रति माह देने की ब्
व्यवस्था करने का निर्णय ले जिससे शिक्षक अपने दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से कर सकें ।
( लेखक डा. रक्षपाल सिंह चौहान प्रख्यात शिक्षाविद, धर्म समाज कालेज, अलीगढ़ के पूर्व विभागाध्यक्ष और डा. बी आर अम्बेडकर विश्व विद्यालय, आगरा शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे हैं।)