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महिला की व्यथा सुन एसएसपी हुए भावुक, और फिर सोच में पड़े आखिर ..?

महिला की व्यथा सुन एसएसपी हुए भावुक, और फिर सोच में पड़े आखिर ..?
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एसएसपी राजेश पाण्डेय को जैसे ही उनके ड्राइवर ने बताया इस महिला के बारे में खुद ही जांच को निकल पड़े मौका पर.

अलीगढ में तैनात एसएसपी राजेश पाण्डेय हमेशा अपने कारनामों को लेकर चर्चा में रहते है. हाल ही में एक घटना उनके सरकारी ड्राइवर मौ0 हनीफ ने उन्हें बताई. एसएसपी ने बिना देरी किये मौके पर खुद ही पहुंचने का मन बना लिया. मौके पर पहुंचकर जो घटना उन्होंने देखी उससे भावुक हो गये और कहने लगे आखिर क्या हो गया है इस समाज को. इस गरीब की क्या गलती है जो इसकी कोई मदद नहीं करना चाहता है. इस पर पुलिस कप्तान ने अपनी फेसबुक पर इस ह्रदय विदारक द्रश्य को लिख डाला.

एसएसपी राजेश पाण्डेय ने लिखा

नाम- *मीना देवी* उम्र लगभग 34 वर्ष आस-पास के लोगों के सहयोग से भरण-पोषण

पति- *कन्हैया* काम-मजदूरी कई महीने से गायब

मूलनिवास-छोटी कशेर थाना डिवाई , जनपद बुलंदशहर |

वर्तमान निवास- *फुटपाथ* , शमशाद मार्केट जनपद अलीगढ़ |

लड़का- *विकास* उम्र *4 माह,* कोई चोरी कर ले गया |

लड़की- *काजल* उम्र *8 वर्ष* , कोई चोरी कर ले गया |

लड़का- *राहुल* उम्र 10 वर्ष, बिरियानी के ठेले पर मजदूरी |





मीना देवी, पति के गायब होने के बाद से मुफलिसी में जीवनयापन करती है। मजदूरी मिल गयी तो ठीक, नहीं तो लोगों से सहयोग माँग कर बच्चों का पेट भर रही थी। लगभग 4 माह पहले जब अपने बच्चों के साथ फुटपाथ पर सो रही थी, रात्रि में कोई उसके 4 माह के बच्चे को चोरी कर ले गया। फुटपाथ पर खोखे, रेडी लगाने वाले लोगों से गुहार की, सभी लोगों ने सलाह बहुत दी, पर मदद किसी ने नहीं की।


10 दिन पहले रात्रि जब वह बड़े बेटे व बेटी के साथ फुटपाथ पर सो रही थी, कोई उसकी बेटी को भी चोरी कर ले गया। फिर उसने मदद की गुहार की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। न कोई नेता आया, न कोई संस्था, न तमाशबीन आये, न पुलिस, न पत्रकार, न कोई चैनल ,न कोई हल्ला मचा। वह पागलों की तरह लोगों के पास भटकती रही।



कल मेरे सरकारी ड्राइवर मौ0 हनीफ ने मुझे बताया कि शमशाद मार्केट में फुटपाथ पर रहने वाली एक महिला के दो बच्चे चोरी कर लिए गये , उसकी कोई मदद नहीं कर रहा है। दो प्रयास के बाद आखिरकार महिला शाम को 8:00 बजे फुटपाथ पर सोती मिली। फुटपाथ पर अशोक के पेड़ की डाल पर धागे में लटकाई हुई अपनी बेटी काजल की पासपोर्ट साइज की फोटो दिखा कर रोने लगी और कहने लगी "मैंने फोटो भी टांग दी" फिर भी कोई नहीं बता रहा है।


उसकी यह व्यथा, पीड़ा, गुस्सा और बेबसी देखकर थोड़ी देर के लिए मैं भी संज्ञाशून्य हो गया। आस-पास लगी लोगों की भीड़ मे सभी शान्त थे।थाना सिविल लाइन के प्रभारी निरीक्षक को बुलाकर तुरन्त मुकदमा कायम कराया गया, टीम बनवायी और बच्चों के बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है।

उसकी किसी ने नहीं सुनी क्योंकि वह गरीबी रेखा के अन्तिम पायदान पर है। मेरे समाज ने उसे सामाजिक संरचना में कोई स्थान नहीं दिया।

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