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Aligarh news:अलीगढ़ के जफर अहमद ने देश के पाँच राज्यों में भर्ती का विज्ञापन देकर 50 हजार लोगों से की ठगी, ओडिशा पुलिस ने किया गिरफ्तार
अलीगढ़: फर्जी नौकरी के नाम पर देश का सबसे बड़ा स्कैम का मामला सामने आया है। देश के 5 राज्यों के 50 हजार लोगों के साथ ठगी की गई है। इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ जिले के निवासी एक युवक गिरफ्तारी भी हो गई है। ओडिशा पुलिस की EOW विंग ने यूपी के अलीगढ़ से एक व्यक्ति को अरेस्ट किया है। ये गिरोह फर्जी सरकारी वेबसाइट बनाकर लोगों से ठगी करते थे। फर्जी रोजगार साइट जीवन स्वास्थ्य सुरक्षा योजना www.jssy.in, भारतीय जन स्वास्थ्य सुरक्षा योजना www.bjsry.in और ग्रामीण समाज मानव स्वास्थ्य सेवा www.gsmsss.in के जरिए नौकरी का लालच देकर लोगों से ठगी करते थे।
क्या है मामला
फर्जी नौकरी के नाम पर एक बहुत बड़ा मामला सामने आया है। देश के 5 राज्यों के 50 हजार लोगों के साथ यह ठगी हुई है। इस ठगी को अंजाम देने के लिए 530 मोबाइल फोन, 1,000 से अधिक सिम कार्ड और 100 बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया है। सभी आरोपी यूपी में अलीगढ़ के जमालपुर निवासी हैं। कॉल सेंटर वालों से मिलकर इस ठगी को अंजाम दिया गया है। इस स्कैम में यूपी, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के युवाओं से ठगी की है।
आईजी (ईओडब्ल्यू) जय नारायण पंकज ने बताया
पुलिस महानिरीक्षक (ईओडब्ल्यू) जय नारायण पंकज ने कहा कि शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि देश भर में कम से कम 50,000 नौकरी चाहने वालों को करोड़ों रुपये ठगे गए। घोटाला कुछ विशेषज्ञ वेबसाइट डेवलपर्स की मदद से उत्तर प्रदेश के तकनीक-प्रेमी इंजीनियरों के एक समूह द्वारा चलाया जा रहा था। इस कोर ग्रुप की सहायता कॉल सेंटर के लगभग 50 कर्मचारी कर रहे थे। इन कर्मचारियों को प्रति माह ₹ 15,000 का भुगतान किया गया था और ये उत्तर प्रदेश के जमालपुर और अलीगढ़ इलाकों से थे। अलीगढ़ निवासी जफर अहमद की गिरफ्तारी के बाद इस पूरे मामलें में घोटालेबाजों की कार्यप्रणाली का खुलासा हुआ। ईओडब्ल्यू के मुताबिक अहमद को अलीगढ़ की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जिसने पांच दिन की रिमांड मंजूर कर ली। उसे भुवनेश्वर की अदालत में पेश किया जाएगा।
कैसे करते थे ठगी
ये पूरा गिरोह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से संचालित हो रहा था. तकनीकी रूप से दक्ष लोग गिरोह का संचालन कर रहे थे और फर्जी सरकारी वेबसाइट बनाकर बेरोजगारों को आकर्षित करने के लिए उन वेबसाइट्स पर फर्जी भर्तियों के विज्ञापन डाले जाते थे. जालसाजों ने ओडिशा के अलावा गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों को इसमें टारगेट किया.
कॉल सेंटर के कर्मचारी कर रहे थे सहयोग
ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के मुताबिक जालसाजों के इस गिरोह का संचालन इंजीनियर कर रहे थे. इनका सहयोग कॉल सेंटर में काम करने वाले 50 कर्मचारी कर रहे थे. सहयोग करने वाले कॉल सेंटर के 50 कर्मचारियों को गिरोह की ओर से 15 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा था जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और जमालपुर के थे.
इस्तेमाल किए गए 1000 से ज्यादा सिम
गिरोह ने धोखाधड़ी के लिए एक हजार से ज्यादा सिम कार्ड्स और 530 मोबाइल हैंडसेट्स का उपयोग किया. बताया जाता है कि धोखाधड़ी के लिए फर्जीवाड़े से खोले गए बैंक खातों का उपयोग किया जाता था. धोखाधड़ी करने वाले पैसे निकालने के लिए जनसेवा केंद्र का उपयोग करते थे. ओडिशा पुलिस की टीम पकड़े गए आरोपी से पूछताछ कर रही है.
समाचार पत्रों में विज्ञापन भी देते थे
बताया गया है कि कभी-कभी वे स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञापन भी देते हैं। यह विज्ञापन नकली परिचय के साथ देते थे। नकली पहचान के साथ-साथ व्हाट्सएप कॉल और म्यूल बैंक खातों के माध्यम से पैसे का लेन-देन करते थे। वे उम्मीदवारों से साक्षात्कार, प्रशिक्षण और अन्य प्रकार के आयोजनों के लिए 3000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये तक का शुल्क लेते थे। यह इस बात पर निर्भर करता था कि उम्मीदवार उन पर कितना भरोसा करते हैं।
पैसे मिलने पर वेबसाइट और कॉल सेंटर बंद
आम तौर पर वे नौकरी के लिए पंजीकृत या आवेदन किए गए सभी उम्मीदवारों का चयन करेंगे। उम्मीदवारों का विश्वास जीतने के लिए वे जोर देकर कहते थे कि वे अपनी आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ही काम करें। वे विभिन्न म्यूल खातों में ही उम्मीदवारों से पैसा प्राप्त करेंगे। एक बार जब उन्होंने अभ्यास पूरा कर लिया तो अचानक वेबसाइट और कॉल सेंटर बंद हो जाते हैं। फिर वे उसी पैटर्न पर नई योजनाओं के साथ कुछ नई वेबसाइट लेकर आते हैं। अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए वे "बंद ऑपरेशन" में इस्तेमाल किए गए सभी मोबाइल सेट और सिमकार्ड को पास की नदियों में फेंक देते हैं।
निर्दोष व्यक्तियों के नाम पर थे सिमकार्ड
बताया जाता है कि म्यूल बैंक खातों को अभियुक्तों द्वारा राजस्थान से एकत्र किया गया था और जालसाजों द्वारा उपयोग किए गए सिमकार्ड निर्दोष व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत थे। जालसाज साल 2020 से लोगों को चूना लगा रहे थे और अवैध कमाई से अलीगढ़ में करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। ईओडब्ल्यू सभी संबंधित राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों से संपर्क कर उन्हें सतर्क करेगा और साथ ही अपने स्तर पर भी जांच शुरू करेगा।