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स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और वासुदेवानंद सरस्वती को हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका
इलाहाबाद : ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य पद के विवाद मामले में आज शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट के फैसले से स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को बड़ा झटका लगा है।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती के बीच चल रहे विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद को शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया है।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस के जे ठाकर की डिवीजन बेंच ने ये फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्योतिष पीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य की पदवी को लेकर फैसला सुनाते हुए दोनों को ही शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया और तीन माह में नये शंकराचार्य के चयन करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आदेश में कहा कि तब तक स्वामी वासुदेवानन्द शंकराचार्य के पद पर बने रहेंगे। वहीं हाईकोर्ट ने काशी विद्वत परिषद, भारत धर्म महामण्डल और धार्मिक संगठन मिलकर नये शंकराचार्य का चुनाव करें। तीनों पीठों के शंकराचार्यों की मदद से शंकराचार्य घोषित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने फर्जी शंकराचार्यों और मठाधीशों पर भी अंकुश लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि नए शंकराचार्य के चयन में 1941 की प्रक्रिया अपनायी जाए। कोर्ट ने आदि शंकराचार्य द्वारा घोषित 4 पीठों को ही वैध पीठ माना है। हाईकोर्ट ने शंकराचार्य की नियुक्ति होने तक यथास्थिति कायम रखने का भी आदेश दिया है।