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- इलाहाबाद विश्वविद्यालय...
शशांक मिश्रा
एशिया के सबसे पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के छात्रसंघ चुनाव का दौर जारी है ,प्रत्याशी दिन रात अपनी जीत के लिए प्रयासरत हैं!आज दक्षता भाषण के दौरान बड़े बड़े दावे,वादे किए गए जो हर साल होते है और नये प्रत्याशी के पुनः वादे के लिए पूरे नही किए जाते. आज लीक से हटकर चीजें देखने को मिली दक्षता भाषण निर्धारित समय कुछ देरी में शुरू हुआ.
भाषण की शुरूआत में ही पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षो द्वारा आवाज छात्रों तक न पहुंचने पर तीखी आपत्ति की जैसे तैसे मामला शांत हुआ. शुरुआत में एक उपाध्यक्ष के प्रत्याशी पूरे शरीर का भाषण में प्रयोग कर रहे थे और विश्विद्यालय की दवा का कलर बदलने की बात कर रहे थे. एक क्षेत्रीय पार्टी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों द्वारा बीच बीच मे धीरे से मुद्दे याद कराये जा रहे थे.
कुछ प्रत्याशी छात्रसंघ चुनाव को विधानसभा ,संसदीय चुनाव समझ बैठे थे क्योंकि स्क्रिप्ट विधानसभा वाली ही पढ़ रहे थे जातिवाद,sc/st, अनुसूचित और तमाम छात्रों के मुद्दों को भूलकर इसी के इर्द गिर्द अपना भाषण समाहित कर रहे थे छात्रहित के मुद्दे कोसों दूर थे.
कुछ प्रत्याशियों ने अच्छे मुद्दे उठाए एक उपाध्यक्ष के प्रत्याशी ने वादे न करते हुए बेरोजगारी की बात की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कैंपस प्लेसमेंट के लिए कार्य करने को अपना उद्देश्य बताया अपने ऊपर दर्ज हो रहे मुकदमे को विरोधियों की हताशा बताया.
कुछ को एक राष्ट्रीय पार्टी द्वारा टिकट ना मिलने का दुख साफ नजर आ रहा था !एक प्रत्याशी ने तो जमकर एक पार्टी पर हमला बोला कि कुछ लोग भैया ,भाभी के कहने पर उठते बैठते है चुनाव में. कुछ प्रत्याशी 2019 के चुनाव की स्पष्ट तस्वीर प्रदर्शित कर रहे थे!एक बार भगदड़ की स्थिति बनी. बम की आवाज इस बार कम रही. दक्षता भाषण के दौरान महागठबंधन की झलक देखने को मिली!कंधे पर लाल नीली रुमाल धारण किए हुए और समर्थक लाल नीला झंडा साथ-साथ लहरा रहे थे.
छात्र भी थोड़ा कम दिखे विगत वर्षों की तुलना में में!ये शायद छात्रसंघ की घटती लोकप्रियता का कारण भी हो सकता है. स्पष्ट होता है कि छात्रसंघ चुनाव छात्रों का चुनाव नहीं रहा पार्टियों का चुनाव होता जा रहा है.