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- हिंदी में काम करना...
हिंदी में काम करना आसान है, और यह भ्रम फैलाया जाता है कि अंग्रेजी में काम करना आसान और हिंदी में काम करना मुश्किल है-राजभाषा निदेशक डा. सुनीति शर्मा
हिंदी पखवाडा शुरू होने वाला है और इसको लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके तहत पहला कार्यक्रम हिंदी विभाग में हुआ, जहां मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राजभाषा निदेशक डा. सुनीति शर्मा ने 'कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग कैसे बढायें' विषय पर व्याख्यान दिया. व्याख्यान में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में आना हमेशा सुखद रहता है, यहां आकर मुझे अपने विश्वविद्यालय के दिन याद आ गये.
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कर्मचारियों को राजभाषा के नियमों की अपेक्षित जानकारी नहीं है जबकि केंद्र सरकार के अधिकारी और कर्मचारी होने के नाते सबका संवैधानिक दायित्व है कि हिंदी में काम करें. उन्होंने अध्यापक की तरह बताया कि हिंदी में काम करना आसान है, और यह भ्रम फैलाया जाता है कि अंग्रेजी में काम करना आसान और हिंदी में काम करना मुश्किल है.
उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद, बनारस आदि जैसे हिंदी के केन्द्रीय क्षेत्र में हिंदी में कम काम हो रहा है, ये दुखद है. हिंदी में काम काज बढाने के लिए विश्वविद्यालय में समय समय पर राजभाषा सम्बन्धी कार्यशाला करवानी चाहिए, राजभाषा समिति की नियमित बैठकें होनी चाहिये, पुस्तकालयों में हिंदी किताबों की खरीद होनी चाहिए. विश्वविद्यालय के विज्ञापन हिंदी में अनिवार्य रूप से दियें जाएँ, सारे नाम पट्ट हिंदी में भी हों और अधिक से अधिक पत्राचार और कार्यालयी टिप्पणियां हिंदी में की जाएँ. कामकाज के लिए यूनिकोड फॉण्ट का इस्तेमाल करना चाहिए.
कार्यक्रम में उपस्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव राजभाषा समिति के अध्यक्ष डा. एन. के. शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि वे कोशिश करेंगे कि हिंदी में कामकाज को बढ़ावा दें. कार्यक्रम के उपरांत इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतनलाल हांगलू ने भी डा. सुनीति शर्मा को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.
शशांक मिश्रा