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शिक्षा मित्रों को बेमौत मरने की मजबूर कर रही है सरकार
अंबेडकरनगर: उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग में दो दशक से अधिक समय से उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा की बेहतरी के लिए कार्य करने वाले योग्य एवं अनुभवी शिक्षामित्र आर्थिक व मानसिक रूप से शोषण किए जाने के चलते बेमौत मरने के लिए मजबूर हैं। इस के चलते शिक्षा मित्रों द्वारा बताया जाता है कि अब तक लगभग 8000 हजार शिक्षा मित्र मौत के मुंह में चले गए।
यूपी सरकार की उदासीनता व शोषण नीति के चलते 2 जून की रोटी के लिए उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्र मोहताज हो गए हैं। वही शिक्षामित्रों का मानदेय भुगतान समय से करने में भी योगी सरकार फेल रही है। उपरोक्त बयान देते हुए शिक्षा मित्र शिक्षक संघ अंबेडकरनगर के जिला अध्यक्ष व शिक्षामित्र केयर समिति अंबेडकर नगर के जिला संयोजक राम चन्दर मौर्य ने कहा कि शिक्षामित्रों की दो दशक पूर्व प्राथमिक विद्यालयों में बेसिक शिक्षा की बेहतरी के लिए नियुक्ति प्रदान की गई थी।
जिसमें शिक्षामित्रों को 2250 रुपए मानदेय के रूप में दिया जाता था, दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 2014 में शिक्षामित्रों का समायोजन सहायक अध्यापक पद पर कर दिया गया 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों को मात्र ? 10000 ग्यारह माह के लिए मानदेय के रूप में दिया जा रहा है। वह भी समय से न मिल पाने के कारण शिक्षामित्रों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके चलते उत्तर प्रदेश में लगभग 10000 शिक्षामित्रों की आर्थिक तंगी, अवसाद व आत्महत्या के चलते मौत हो चुकी है । सरकारों द्वारा भी शिक्षा मित्रों के साथ झूठे वादे किए गए जो अभी तक पूरा नहीं किए जा सके।
शिक्षामित्रों द्वारा समस्याओं के समाधान के लिए बहुत सारे आंदोलन भी किए गए जिसमें पूर्व की योगी सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के समस्याओं के समाधान हेतु झूठी हाई पावर कमेटी का गठन भी किया गया था। जिसका निर्णय 6 माह में आना था लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान का अता पता नहीं है। शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान न करके उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के मौत का सौदागर बनीं हुई है।
जबकि शिक्षामित्र शिक्षक की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं व शिक्षक पात्रता परीक्षा भी उत्तीर्ण किए हुए हैं और शिक्षामित्रों द्वारा शिक्षकों के बराबर काम भी किया जाता है फिर भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को मात्र ?10000 अल्प मानदेय 11 माह के लिए दिया जाता है और वह भी समय से न मिल पाने के कारण शिक्षामित्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शिक्षामित्र संगठनों के नेताओं द्वारा चंदे के रूप में शिक्षामित्रों से लाखों रुपए डकारने के बाद भी शिक्षामित्र हित में समाधान हेतु सक्रिय होकर प्रयास नहीं किया जा रहा है।
जिलाध्यक्ष, जिला संयोजक रामचंद्र मौर्य ने कहा कि शिक्षामित्रों को संगठनों की अंधभक्ति छोड़ कर अपनी समस्याओं के समाधान हेतु एकजुट होकर संघर्ष के लिए आगे आना होगा तभी शिक्षामित्रों का भला हो सकता है। शिक्षामित्र शिक्षक संघ अंबेडकर नगर के जिलाध्यक्ष, शिक्षामित्र केयर समिति अंबेडकर नगर के जिला संयोजक रामचंद्र मौर्य ने जनपद के शिक्षामित्रों से गुटबाजी छोड़कर शिक्षामित्र हित में एकजुट होने की अपील किया है।
बता दें कि अब एक बार फिर से 27 जून को इनके बारे में चर्चा होने की बात कही जा रही है। जिसमें मानदेय बढ़ाए जाने का फैसला हो सकता है। इस बैठक में शिक्षा विभाग के की और काम भी निपटाए जा सकते है।