अमेठी

LOCKDOWN: बीमार पत्‍नी को देखने की चाहत में 600 किमी का सफर साइकिल से किया पूरा

Shiv Kumar Mishra
14 April 2020 11:03 AM IST
LOCKDOWN: बीमार पत्‍नी को देखने की चाहत में 600 किमी का सफर साइकिल से किया पूरा
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लॉकडाउन में बीमार पत्‍नी के लिए साइकिल से यूपी के अमेठी से बिहार के खगडिया तक का सफर किया

कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण को सीमित करने के लिए 23 मार्च को घोषित किया गया 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) आज पूरा होने जा रहा है. इन 21 दिनों में तमाम ऐसी तमाम घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें सही और गलत का फैसला करना बेहद मुश्किल है. उदाहरण के तौर पर बात करें तो एक शख्‍स अपनी बीमार पत्‍नी को देखने की चाहत में 600 किमी का सफर साइकिल से पूरा करता है. किसी परिवार के पास खाने को कुछ नहीं है तो वह खास खाने को मजबूर हो गया है. कहीं, पुलिस कर्मियों के 'लाठी फन' ने कई दिनों से भूखे छात्रों को बुरी तरह से चुटहिल कर दिया. आइए अब आपको इन तीनों कहानियों को विस्‍तार से बताते हैं. तीनों कहानियों को जानने के बाद आप ही फैसला कीजिए, क्‍या गलत है और क्‍या सही.

साइकिल से यूपी के अमेठी से बिहार के खगडिया तक का सफर

पहली कहानी की शुरूआत उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अमे‍ठी जिले के बहादुरपुर से शुरू होती है. यहां की एक राइस मिल में बिहार के खगडि़या जिले के अटैया का पवन कुमार मजदूरी का काम करता है. एक शाम पवन को पता चलता है कि उसकी पत्‍नी बीमार है. पत्‍नी की बीमारी की बात सुनकर पवन बेचैन हो जाता है और वह गांव वापस जाने का फैसला कर लेता है. चूंकि, देश में लॉकडाउन के चलते सड़कों पर यातायात पूरी तरह से बंद था, लिहाजा पवन ने फैसल किया कि वह साइकिल से ही अपने गांव तक की दूरी तय करेगा. आपको बता दें कि बहादुरपुर (यूपी) से अटैया (बिहार) गांव के खगडि़या जिले के बीच की दूरी करीब 600 किमी है. अब पवन साइकिल लेकर अपने गांव की तरफ निकल पड़ा. वह सोमवार शाम करीब 200 किमी का सफर पूरा कर यूपी के पंडित दीनदयाल नगर पहुंच चुका है. अपने घर पहुंचने के लिए उसे अभी 400 किमी का सफर और पूरा करना है.

प्रशासन के नकारापन ने परिवार को खास खाने के लिए किया मजबूर

दूसरी कहानी, झारखंड के टाटा नगर की है. बीते दिनों, टाटा नगर में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक महिला घास चुनते हुए दिखाई दी थी. इस महिला से जब पूछा जाता है कि घास का क्‍या करेगी, तो उसका जवाब था, घर में खाने को कुछ नहीं है, इसलिए खाने के लिए घास लेकर जा रही है. दैनिक हिन्‍दुस्‍तान में छपी खबर के अनुसार, टाटा नगर रेलवे स्‍टेशन के पास एक आदिवासी परिवार रहता है. इस परिवार में, सौदा मुंडारी के अलावा, उनकी पत्‍नी अनीता और तीन मासूम हैं. घास खाने की बात को लेकर अनीता ने बताया था कि पूरे लॉकडाउन की अवधि में उसे मुखिया ने सिर्फ तीन किलो चावल दिया था, वह भी तीन दिन पहले. वह चावल न जाने कब खत्‍म हो गया. वहीं, इस प्रकरण में पूर्वी घाघीडीह पंचायत की मुखिया लक्ष्‍मी सोह आरोपों से इंकार करती हैं. वहीं, जमशेदपुर के बीडीओ मलय कुमार कहते हैं कि तीन दिन पहले पीडि़त परिवार का स्‍थानीय मुखिया ने अनाज दिया था. इस बाबत, जानकारी मिलने के बाद परिवार को चावल, दाल और आलू दिया गया है.

पुलिस के 'लाठी फन' ने भूखे बच्‍चों को किया जख्‍मी

तीसरी कहानी, उत्‍तर प्रदेश के सुल्‍तानपुर से है. जिले के गोरई थाना क्षेत्र में रहने वाले आठ छात्र कृषि प्रशिक्षण के लिए करीब एक माह पहले अकबरपुर आए थे. इसी बीच, देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा हो गई. आठों छात्र जिस छात्रावास में रुके हुए थे, उसका मेस लॉकडाउन के साथ बंद हो गया. कुछ दिन तो किसी तरह गुजर गए, लेकिन अब भूख को सहना इन छात्रों के लिए मुश्किल हो गया. नतीजतन, ये छात्र पैदल ही अपने घर की तरफ निकल पड़े. शुक्‍लागंज के पुराने पुल चौराहा पर पुलिस ने इनको रोक लिया. पूरी बात सुनने के बाद पुलिस कर्मियों ने इनको पानी पिलाया और खाने के पैकेट किए. यहां से ये लोग स्‍टेशन की तरफ बढ़ और प्‍लेटफार्म में बैठकर खाना खाने लगे. तभी जीआरपी के कुछ सिपाही 'लाठी फन' करते हुए वहां पहुंच गए. इन पुलिसकर्मियों ने यह भी पूछने की जहमत भी नहीं उठाई कि ये बच्‍चे कौन हैं, कहां से आए हैं और प्‍लेटफार्म में क्‍या कर रहे हैं. इन पुलिस कर्मियों ने बिना कुछ पूछे, खाना खाते छात्रों पर लाठी बरसाना शुरू कर दिया. पुलिस कर्मियों के इस लाठी फन के चक्‍कर में ये छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए हैं.

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