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- डिबेट से जुड़ी जनता भी...
डिबेट से जुड़ी जनता भी करना चाहती है अनुदेशक की मदद, अमरोहा में विधायक समरपाल सिंह को दिया सदन में उठाने के लिए अनुदेशकों का मांग पत्र
उत्तर प्रदेश में पिछले डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय से स्पेशल कवरेज न्यूज अनुदेशकों के नियमितीकरण कर मांग को उठा रहा है। इस मांग में अनुदेशक तो उतनी सहभागिता नहीं करते लेकिन अब जनता के लोगों की भी सहानुभूति मिलना शुरू हो गई है।
इस डिबेट के माध्यम से प्रदेश ही नहीं पूरे देश और विश्व में ये लोग जानकार हैरान है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षा मित्र को 10000 हजार उच्च प्राथमिक स्कूल मे पढ़ाने वाले अनुदेशक को 9000 हजार (पहले 7000 हजार डिबेट के बाद 2000 हजार बढ़ा) और ग्रेजुएट को शिक्षा देने वाले असि प्रो को 5000 हजार रुपये वेतन मिलता है।
इस पर आम जन मानस जो कि शिक्षक का सम्मान करता है मं दुखी होता है। तब इसमें सोशल सोसाइटी , सामाजिक लोग आगे आना शुरू कर रहे है। इसी क्रम में आज अमरोहा जिले के निवासी शशांक औलख ने अनुदेशकों की समस्या को विधानसभा में उठाने के लिए अमरोहा जिले के विधायक को अनुदेशकों का मांगपत्र सौंपा। शशांक एक पढे लिखे और सामाजिक व्यक्ति है। उन्होंने स्पेशल कवरेज न्यूज के संपादक शिवकुमार मिश्रा को फोन किया। इस बात को तत्काल अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह को बताया गया। उन्होंने शशांक औलख से संपर्क करके उन्हे अपना मांग पत्र भेजा जिसे विधायक जी को दिया गया।
मांगपत्र मिलते शशांक औलख ने अमरोहा जिले की नौगंवा सादात विधानसभा क्षेत्र के विधायक समरपाल पाल सिंह को मांगपत्र सौंपा। और अनुदेशकों का मुद्दा सदन में उठाने का आग्रह किया। जल्द विधानसभा में भी अनुदेशकों का मुद्दा गूँजेगा।
लिहाजा अब अनुदेशक की लड़ाई विस्तृत हो रही है। सामाजिक लोग भी चर्चा कर रहे है कि अनुदेशक 9000 हजार रुपये में स्कूल आने जाने का खर्च निकाल कर भी अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करता है।
इस मांग पत्र को दिया गया
विषय- बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों के साथ हो रहे प्रपीड़न एवं मानवीय अधिकारों के संरक्षण के सम्बन्ध में..
माननीय महोदय!
हम सभी बेसिक शिक्षा परिषद में कर्मठता से सेवा देने वाले अनुदेशक कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर आप महानुभाव का ध्यान आकृष्ट किए जाने की प्रार्थना करते हैं
1. यह कि अनुदेशक बेसिक शिक्षा परिषद में निरंतर दस वर्षों से एक सहायक अध्यापक की तरह गरीब एवं दलित बच्चों के शैक्षणिक उन्नयन को नवीन आयाम देता आ रहा है
2. यह कि हम अनुदेशकों की नियुक्ति प्रक्रिया, शैक्षणिक योग्यताएँ एवं कार्य व्यवहार ठीक उसी प्रकार से है जैसा कि बेसिक परिषद में कार्यरत अन्य शिक्षकों की.....
3.यह कि अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 से संसक्त होकर हम अनुदेशकों की नियुक्ति पारदर्शी,अधिनियमित एवं संवैधानिक तरीके से की गयी है जो एन.सी.टी.द्वारा दिए गए मार्गदर्शन 2013 के अनुरूप है
4. यह कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम में शैक्षणिक सेवाओं के संबंध में संविदात्मक उपबंधों की व्यवस्था कभी नहीं रही है बाऊजुद इसके हम योग्य एवं प्रशिक्षित अनुदेशकों को मात्र 7000 महीने के मानदेय पर संविदा की बेड़ी में जकड़ दिया गया, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उत्कृष्ट योगदान कर शैक्षणिक गुणवत्ता को नवीन आयाम देने वाले हम अनुदेशकों के मानदेय में कटौती भी की जाती रही और यहाँ तक कि लोकतंत्र की आस्था के केन्द्र रहे लखनऊ विधानसभा से भी हमारे मानदेय के सम्बन्ध में भिन्न भिन्न आंकड़े विधायकों को सदन की कार्यवाही में भी बताए गए
5.यह कि उपेक्षित,तिरस्कृत और अवसाद से कुंठित अनुदेशक लगातार अपनी पीड़ा एवं कराह को विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के समक्ष उठाता आया है परिणामस्वरूप प्रयागराज हाईकोर्ट ने हम अनुदेशकों के अधिकारों एवं पुनीत कर्तव्यों की विशद व्याख्या एवं निष्पादन योग्य आदेशों को अभिनिर्णीत किया है-
6. यह कि अपने न्यायिक निर्णयों के लिए ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध प्रयागराज हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के विभिन्न नजीरों एवं दिग्दर्शक सिद्धांतों को अपने न्याय निर्णयन में शामिल कर उत्तर प्रदेश सरकार को अनेक दिशा निर्देश एवं पालन करने योग्य आदेश दिया है लेकिन सामाजिक न्याय एवं समानता का नारा देने वाली सरकार हमारे अथाह कष्ट एवं करुण क्रन्दन को नजरअंदाज कर रही है
6.यह कि वर्तमान में हम अनुदेशक मात्र 9000 प्रति माह पर कार्य कर रहे हैं और हमारे अधिसंख्य साथी चालीस वर्ष की उम्रसीमा पार कर चुके हैं!-
7.यह कि संविदात्मक आबद्धता के कारण हम अनुदेशक विकल्पहीनता के शिकार हो चुकें है और हमारी सामाजिक एवं पारिवारिक सुरक्षा अत्यंत क्षीण हो चुकी है अवसाद और निराशा के कारण अनेक अनुदेशक साथी असमय काल के गाल में समा चुके हैं
8. यह कि भारतीय संविधान एवं लोकप्रतिनिध्त्व अधिनियम के अनुसार भारतीय विधायिका हम भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व लोकतंत्र के मंदिरों में करतीं है इस व्यवस्था के कारण आप महानुभाव हमारे अभिकर्ता एवं प्रणेता भी हैं हमारे मानवीय एवं मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए और अपने पुनीत दायित्वों के पालन के लिए सदन से सड़क तक हमारी निर्दोष पीड़ा पर स्नेहलेप लगाना आप का विधायी कर्तव्य बनता है
माननीय महोदय!
हम अनुदेशक, शैक्षणिक एवं सामाजिक इकाई के रूप में सदैव ही आमजनमानस के सम्पर्क में कार्य कर रहे हैं हमारे द्वारा वर्षों पूर्व पढ़ाए गए बच्चे भी लोकतंत्र के महोत्सव में भागीदारी कर रहे हैं एक जिम्मेदार शिक्षक एवं जागरूक नागरिक होने के बाऊजुद भी हमारे साथ होने वाला शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर है ! हमारे लिए बनाए गए नियम अत्यंत विभेदकारी है
अत: विनम्रतापूर्वक हम समस्त उत्तर प्रदेश के अनुदेशक आप से प्रार्थना करते हैं कि हमारे मामले पर सदिच्छा एवं सद्भावपूर्वक विचार करते हुये स्वतंत्र एवं निष्पक्ष प्राधिकारियों,विधिवेत्ताओं से परामर्श कर सरकार के समक्ष हमारे नियमितीकरण का प्रस्ताव रखने की कृपा की जावे! हमारे मामले को संसद एवं विधानसभा के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, प्रश्नकाल एवं शुन्य काल में रिकॉर्ड पर लिया जाए,इस विषय पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किये जाने की कृपा की जावे
हजारों हजार अनुदेशक सदैव के लिए आभारी रहेंगे
भवदीय विक्रम सिंह अध्यक्ष अनुदेशक संघ उत्तर प्रदेश
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