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Anudeshak News: अनुदेशकों को सुप्रीम कोर्ट से मिली संजीवनी, अनुदेशक संघ की याचिका हुई स्वीकार
सुप्रीम कोर्ट ने अनुदेशकों के 17000 मानदेय पर 1 मई को सुनवाई किया और यह माना की इतने कम मानदेय में इनका गुजर बसर नहीं हो सकता है।
जानिए पूरा मामला
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुदेशकों के मानदेय की घोषणा की जिसमें कहा गया की अब इनका मानदेय बढ़ाकर 7000 से 17000 कर दिया गया है। लेकिन समय बीतता गया और इनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया। प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कई बार सरकार से मिलकर अवगत कराया लेकिन फिर भी सरकार अनुदेशकों की एक भी नहीं सुनी। फिर अनुदेशक हाईकोर्ट जाते हैं। कुछ समय बाद हाईकोर्ट के सिंगल बेंच का फैसला आता है और सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट कहती है की अनुदेशकों के मानदेय को 2017 से ही 9% ब्याज के साथ 17000 करके दिया जाए। लेकिन सरकार कोर्ट के इस फैसले को डबल बेंच में चैलेंज करती है। फिर 2022 में डबल बेंच का निर्णय आता है और वह सरकार से कहती है कि इनको वर्ष 2017 का मानदेय 17000 दिया जाए और आगे के मानदेय के बारे में सरकार निर्णय करे। लेकिन सरकार इस निर्णय को भी नहीं मानती है और हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुदेशक संघ की याचिका स्वीकार किया
1 मई 2023 को सरकार की एसएलपी पर सुनवाई होती है, जिसमें अनुदेशकों की तरफ से सीनियर अधिवक्ता पीएस पटवलिया और आरके सिंह बहस करते हैं और अपने तर्कों से कोर्ट को संतुष्ट कर देते हैं की, वास्तव में अनुदेशकों के साथ गलत हो रहा है, इनको अंशकालिक मानते हुए पूर्णकालिक अध्यापकों के बराबर काम लिया जा रहा है और इसके बदले इनको एक न्यूनतम मानदेय से भी कम मानदेय मात्र 9000 दिया जा रहा है जोकि न्यायसंगत नहीं है। इसी के साथ ही कोर्ट ने परिषदीय अनुदेशक कल्याण एसोसिएशन को भी मान्यता दे दी और पूरे संघ को याची मान लिया। कोर्ट ने सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है।