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योगी साबित करें, क्या सूबे में दलित, पिछड़ा और मुसलमान ही अपराधी है

योगी साबित करें, क्या सूबे में दलित, पिछड़ा और मुसलमान ही अपराधी है
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योगी सरकार आगे मानवाधिकार आयोग की नोटिस का जवाब देकर दिखाए

लखनऊ: रिहाई मंच ने कहा जो योगी कह रह हैं की एक भी एनकाउंटर फर्जी नहीं, साबित करके दिखाएँ, वो योगी आगे ये साबित करें की क्या सूबे में दलित, पिछड़ा और मुसलमान ही अपराधी है जो उनकी पुलिस चुन-चुनकर उनकी हत्याएं कर रही है. योगी सरकार आगे मानवाधिकार आयोग की नोटिस का जवाब देकर दिखाए. योगी सरकार में मुठभेड़ के नाम पर पुलिस ने राजनीतिक हत्याएं की हैं और अब उस अपराधी पुलिस को बचाने के लिए खुद मुख्यमंत्री मैदान में उतर आए हैं.


मंच ने आजमगढ़ की फर्जी मुठभेड़ों पर राज्य मानवाधिकार आयोग की जाँच व विधान सभा में सवाल उठने के बाद भी आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किए जाने को राज्य द्वारा हत्या को जायज ठहराने की कोशिश करार दिया है. मंच ने मानवाधिकार आयोग से मांग की कि वो इस सम्मान कार्यक्रम के आयोजक इंडिया न्यूज़ चैनल और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को नोटिस करे.

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा की पुलिस को गोली का जवाब गोली से देने के अधिकार की बात करने वाले योगी को मालूम होना चाहिए की ये कोई सैन्य राष्ट्र या हिन्दू राष्ट्र नहीं बल्कि लोकतंत्र है, जहाँ पुलिस को अधिकार नहीं कर्तव्य दिया गया है. जो योगी कह रहे हैं की एक भी एनकाउंटर फर्जी नहीं, साबित करके दिखाएँ वे बताएं की आजमगढ़ के जयहिंद यादव जिसको उनकी पुलिस ने जो 21-21 गोली मारी वो न सिर्फ फर्जी एनकाउंटर है बल्कि 21-21 गोली मरना जातिगत द्वेष को भी दिखता है.

योगी के जाती के सवर्ण-सामन्ती अपराधी नेताओं की यूपी पुलिस बॉडी गार्ड है और वो मुकेश राजभर, राम जी पासी, मोहन पासी, छन्नू सोनकर जैसों की बॉडी में गोली मारने का काम कर रही है. योगी कह रहे हैं की कोई अपराधी गोली चलाएगा तो पुलिस हाथ बांधकर बैठी नहीं रहेगी उन्हें बताना चाहिए की उनकी बहादुर पुलिस क्यों पहले से उठाकर उनको मारने का दावा कर रही है. हर हत्या के बाद पुलिस शव को परिजनों को नहीं दे रही है और जबरन अंतेष्टि करवा दे रही है क्यों की समाज के लोग बड़े पैमाने पर उसका विरोध कर रहे हैं और वहां पहुँच जाते हैं. मुकेश राजभर, छन्नू सोनकर जैसे युवाओं पर कोई ईनाम नहीं था उनकी मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने के बाद पुलिस ने ईनाम घोषित किया.
आजमगढ़ में हुई पांच मुठभेड़ों पर सवाल उठाने के बाद पुलिस उनके परिजनों को परेशान कर रही है. यह सब आजमगढ़ पुलिस कप्तान अजय कुमार साहनी की शह पर हो रहा है. अजय कुमार साहनी इसके पूर्व में भी आज़मगढ़ में खुद का सम्मान समारोह आयोजित करा चुके हैं. आजमगढ़ के मुकेश राजभर, जयहिन्द यादव, रामजी पासी और इटावा के अमन यादव के फर्जी मुठभेड़ पर मानवाधिकार आयोग द्वरा जाँच शुरू होने के बाद इण्डिया न्यूज़ चैनल द्वारा शौर्य सम्मान आयोजित कराकर मुठभेड़ों के आरोपी पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी को मुख्यमंत्री योगी द्वारा सम्मानित कराकर क्लीनचिट देने की यह कोशिश जाँच को प्रभावित करेगी.

उन्होंने कहा की जब राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा मुठभेड़ के नाम पर हो रही हत्या को जायज ठहराया जा रहा है, तो सीबीआई जाँच जरुरी हो जाती है. सुप्रीमकोर्ट तक ने इस बात को कहा है कि राजनेता के इशारे पर इनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मी अपराधी हैं उनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. यहाँ तो राजनेता और पुलिस दोनों खुले मंचों पर मुठभेड़ के नाम पर की गई हत्याओं के सम्मान समारोह में शिरकत कर रहे हैं.

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