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Archived
सत्ता संरक्षण में पल रहे हैं अपराधी और पुलिस कर रही है किसान-मजदूर के बेटों की हत्या
शिव कुमार मिश्र
6 March 2018 10:16 AM GMT
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भाजपा नेताओं और आज़मगढ़ पुलिस कप्तान के कॉल डिटेल से उजागर होगा फ़र्ज़ी मुठभेड़ का सच
आज़मगढ़: रिहाई मंच ने पूर्वांचल अभियान के तहत आज़मगढ़ में अपने दौरे में फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे कटरा निवासी छन्नू सोनकर और पवई थाना क्षेत्र के मुत्कल्लीपुर के मुकेश राजभर के परिजनों से मुलाकात की। फ़र्ज़ी मुठभेड़ बताकर घायल किये गए पेंडरा निवासी रईस अहमद के परिजनों से भी मुलाकात की। इसके पहले रिहाई मंच प्रतिनिधि मंडल ने मोहन पासी, रामजी पासी और जयहिंद यादव के परिजनों से भी मुलाकात की थी।
रिहाई मंच नेताओं लक्ष्मण प्रसाद, राजीव यादव और अनिल यादव ने मांग की कि आज़मगढ़ पुलिस अधीक्षक और भाजपा नेताओं के कॉल डिटेल की जांच हो ,पूरा फ़र्ज़ी मुठभेड़ के नाम पर हो रही हत्या का सच उजागर हो जाएगा। आज़मगढ़ के पुलिस कप्तान अजय साहनी अपने आपराधिक कुकर्मों को छुपाने के लिए जगह-जगह सम्मान समारोह करवा रहे हैं।
रिहाई मंच ने कहा कि आज़मगढ़ में आतंकवाद के नाम पर पहले मुस्लिम नौजवानों को फंसाया गया अब योगी सरकार में दलित-पिछड़े युवकों की मुठभेड़ के नाम पर हत्या हो रही है। यह आज़मगढ़ को बदनाम करने की साजिश है। आज़मगढ़ के पुलिस कप्तान जिले के सवर्ण अपराधियों और भाजपा नेताओं से मिलकर किसानों-मजदूरों के बेटों की मुठभेड़ के नाम पर ठेके पर हत्या करवा रहे हैं। यह सत्ता और सवर्ण-सामन्तवाद का गठजोड़ है। सपा से भाजपा में गए पूर्व मंत्री यशवंत सिंह, दर्जनों हत्याओं के आरोपी अखण्ड प्रताप सिंह और जशवंत सिंह उर्फ गप्पू सिंह जैसे कई अपराधी हैं जिनको सत्ता का संरक्षण प्राप्त है और आज़मगढ़ का पुलिस प्रशासन इन्हीं के इशारे पर कई फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम दिया है।
प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों को छन्नू सोनकर के पिता झब्बू सोनकर और भाभी सुभावती ने बताया कि छन्नू सोनकर को पास की अमरूद की बाग से पुलिस उठाकर ले गयी थी। जब देर रात तक छन्नू नहीं आये तो उनकी मोबाइल पर फोन किया गया तो उनको बताया गया कि उनके देवर को जहानागंज थाने पर रखा गया है। सुबह पास की बदरका चौकी के दो सिपाही आये और यह कहकर सदर अस्पताल ले गए कि छन्नू का इलाज हो रहा है। वहां जाकर पता चला कि छन्नू सोनकर की पुलिस ने हत्या कर दी है।
कानपुर से उठाकर फर्जी मुठभेड़ में मारे गए मुत्कल्लीपुर, पवई निवासी मुकेश राजभर की बहन लक्ष्मी बताती हैं कि भाई को मारने के पन्द्रह दिन पहले पुलिस आई थी। उस वक्त घर में अकेली थी पुलिस ने गालियां दी और मारा भी और भाई का पता लेकर गई और उसके बाद 26 जनवरी को साढ़े 9 बजे कानपुर से उठाकर हत्या कर दी। वे बताती हैं कि रामजन्म सिपाही ने 12 बजे फ़ोन किया की कितना खेत है तो मां ने पूछा क्यों, तो कहा कि साहब पूछ रहे हैं। माँ ने पुलिस से कहा कि मुकेश को तो सुबह ही उठाया था, आपके पास है क्या। अगर हो तो मारियेगा-पीटीएगा नहीं जो पैसा कहेंगे दे देंगे और उसके बाद तो भाई के मरने की ही खबर आई। उस पर कोई ईनाम नहीं था उस दिन मारने के बाद पचास हजार का ईनाम घोषित किया गया। भाई सर्वेश ने कहा कि मेरा भाई 18 साल का भी नहीं हुआ था कि पुलिस ने बदमाश घोषित कर उसको मार डाला। लाश भी नहीं दी, जबरन जलवा दिया। 2016 में पहली बार एक अज्ञात केस में उसे उठाकर पैसे की मांग की गई थी कि अगर पैसा नहीं दोगे तो गैंगेस्टर लगा जेल भेज देंगे और जब नहीं दिया तो उसे जेल भेज दिया। 15 दिन पवई थाने में जब रखा था तो रोज पुलिस आकर घर वालों से गाली गलौज और मारपीट करती थी और पैसे मांगती। बाद में जांच में गैंगेस्टर हट गया और वो जेल से बाहर आया। भाई जब जेल में था तब भी पुलिस आती थी और छूटने के बाद भी। उनका दबाव था कि वो कहीं बम्बई-दिल्ली चला जाय। वो गया भी इस बीच उसको भगोड़ा कह-कहकर बदमाश बताकर मार डाला।
फर्जी मुठभेड़ के नाम पर पुलिस की गोली के शिकार जिला पंचायत चुनाव लड़ चुके पेडरा निवासी रईस अहमद की पत्नी बेबी ने बताया कि 30 दिसम्बर को कोहरे के वक़्त रात साढ़े सात के करीब आबिद नाम का एक आदमी मेरे पति को बुलाकर ले गया। थोड़ी देर में लोगों ने बताया कि एसओजी की टीम उनको अपनी गाड़ी में ठूसकर लेकर चली गई, वो बचाने के लिए चिल्लाए भी। उनको भेड़िया पुल अम्बारी के पास एन्काउंटर करने के लिए ले गए। लेकिन तब तक खबर फैल गई तो उनको ले जाकर कई दिन रखने के बाद बाराबंकी में गोली मारकर मुठभेड़ दिखाई गई। उन्होंने बताया कि पिछली प्रधानी के चुनाव से विरोधी उनको फर्जी केस में फसाने के फिराक में थे। नहर काटने जैसे फर्जी मुकदमें उनपर लादे गए।
शिव कुमार मिश्र
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