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बॉंदा मेडिकल कालेज में इलाज न मिलने से बच्चे की मौत, भाई शव लेकर फफक फफक रो रहा था लेकिन नहीं सुनी बात!
डाक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है,लेकिन यहां के डाक्टरों की संवेदना जैसे मर चुकी है, किसी भी गरीब को समुचित उपचार देना यह अपना कर्तव्य नहीं समझते हैं। दस वर्षीय बालक को उसका भाई उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर गया। जहां से डाक्टरों ने उसे राजकीय मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया। मेडिकल कालेज में डाक्टरों ने उसे देखना य उसका उपचार करना मुनासिब नहीं समझा।
अंत: वह दोबारा जिला अस्पताल पहुंचा जहां डाक्टरों ने बालक को मृत घोषित कर दिया। आक्रोशित बड़ा भाई छोटे भाई का शव लेकर डीएम की चौखट पर पहुंचा और दहाड़े मारकर रोने लगा। जिलाधिकारी ने उसकी बात सुनकर आनन फानन में सिटी मजिस्ट्रेट समेत दो सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच के निर्देश दिए।
राम सिंह निवासी पचनेही ने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में बताया कि अपने छोटे भाई विनोद यादव के इलाज के लिए वह उसे बॉंदा राजकीय मेडिकल कालेज लेकर गया। बताया कि सुबह आठ बजे वह मेडिकल कालेज पहुंच गया और डाक्टरों से उपचार के लिए गिड़गिड़ता रहा। लेकिन डाक्टरों के द्वारा न ही उसको देखा गया और न ही उसका उपचार किया गया। जिससे वह मेडिकल कालेज से छोटे भाई विनोद को लेकर करीब 1030 बजे जिला अस्पताल पहुंचा। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृृतक के भाई राम सिंह का आरोप है कि मेडिकल कालेज में डाक्टरों के द्वारा धन की मांग की गई। न देने पर उपचार नहीं किया। जिससे भाई की मौत हो गई। मौत से आक्रोशित बड़ा भाई छोटे भाई के शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा और जिलाधिकारी की चौखट पर फफक-फफक कर रो पड़ा। रोते हुए राम सिंह ने जिलाधिकारी को आपबीती बताई। जिलाधिकारी ने दो सदस्यीय टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए। भरोसा दिलाया कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।