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यूपी में लॉक डाउन में लाईफलाइन बने बैलो से फिर शुरु हुई खेती, लौटा पुराना दौर
स्वप्निल द्विवेदी गजाधरपुर बहराइच
गांवो में बैलो से खेती और पशुपालन चोली दामन का साथ रहा है। लेकिन आधुनिकता के दौर में लोग हल-बैल की जगह ट्रैक्टर से जुताई करने लगे। धीरे-धीरे खेत और बैलों का रिश्ता खत्म होने लगा। गाँवों में पहले खेती में बैलों का उपयोग बहुतायत में होता था। किसानों के दरवाजों पर एक से बढ़कर एक बैलों की जोड़ियां बंधी होती थीं। जब गाँव का कोई व्यक्ति नए बैलों की जोड़ी लाता था, तो उन बैलों को देखने के लिए गाँव वालों का तातां लग जाता था, लेकिन अब गाँवों में बैलों का उपयोग बहुत कम हो गया था।लॉक डाउन लगने से एक बार फिर बैलों के दिन बहुर रहे हैं। लोग कृषि कार्यों में बैलों का खूब प्रयोग करने लगे हैं।
फखरपुर ब्लॉक क्षेत्र के बसंता में
लॉक डाउन में बाहरी इनकम बन्द होने से परेशान किसानों ने छुट्टा घूम रहे पशुओ को पकड़कर बेलों की जोड़ी तैयार कर ली है जिससे खेतो की जुताई करने में लगे है फखरपुर ब्लॉक के बसंता निवासी किसान रँगीले यादव बेचू यादव बल्लू ,गोबरे,ओलिदिन माधव आदि बताते है प्रदेशो से बच्चों की वतन वापसी से बन्द हुई बाहरी आए।औऱ कृषि में बढ़ती लागत के कारण गांव के किसान फिर से जानवरों से कृषि कार्य करने लगे हैं। कृषि कार्य में फिर से पशुओं के प्रयोग होने से क्षेत्र के किसानों की ट्रक्टर भाड़े की समस्या काफी हद तक कम होती नजर आ रही है।और दूसरों के खेतों की जुताई कर जेब खर्च भी निकाल रहे है।