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सूरत से बहराइच पैदल आ रहे एक ही परिवार की 3 लोगो का शव पंहुचा बहराइच।
स्वप्निल द्विवेदी
बहराइच। उत्तर प्रदेश के जनपद बहराइच अंतर्गत शाहनवाज पुर निकट बरुआ घाट के पास जल रहे मजदूरों की यह तीन चीता ए सिस्टम और सरकार से चीख चीख कर पूछ रही हैं क्या मजदूर होना हमारा कसूर था या फिर पैदल चलकर घर आना कहने को तो इस बहराइच जनपद में सरकार के 6 विधायक तथा 2 सांसद तथा एक कैबिनेट मंत्री से लैस उत्तर प्रदेश का चर्चित शहर है यहां पर चुनाव दरमियान सत्ता को हासिल करने के लिए राजनैतिक पार्टियां अपने धुरंधरों से किसी को गधा की तुलना करती तो कोई कुर्सी के लिए गधा बन जाता जहां पर रैलियां होती है।
उस क्षेत्र में वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया जाता है ताकि नेताजी को भाषण देने में कोई दिक्कत ना हो और रैली मैं भीड़ इकट्ठी करने के लिए क्या लग्जरी बसों को लाया जाता है प्रदेश का वीआईपी साउंड सिस्टम से पूरा पंडाल भरा होता है परंतु इनको सत्ता की कुर्सी पर बिठाने वाले मजदूरों का हाल तो देखिए साहब इंसानियत मर चुकी है समझ में नहीं आता चौकीदार का 56 इंच कम हो गया या फिर सिस्टम निकम्मा हो गया।
मित्रों आपको बता दें कि इसी जनपद बहराइच के रिसिया थाना क्षेत्र अंतर्गत अंसारी पुरवा हुसैनपुर गांव निवासी शिशुपाल निषाद जितेंद्र निषाद पुत्रगण हरिहर तथा , सोहन निषाद अपने अन्य परिवारी जनों के साथ लॉक डाउन के खत्म होने के इंतजार में थक जाने के बाद पैदल ही घर वापसी का निर्णय लिया अरे साहब गुजरात के सूरत से बहराइच का सफर को भी तो जरा देखिए इनके हौसले को भी तो देखिए परंतु अपने मंसूबे पर कामयाब ना हो सके और आज दिनांक 15 मई 2020 रात करीब 2:00 बजे के आसपास लखनऊ फैजाबाद नेशनल हाईवे पर पल्लवी ओवरब्रिज निकट बीजेपी कार्यालय के सामने लखनऊ से पैदल घर आ रहे उपरोक्त एक ही परिवार के तीनों लोगों को अज्ञात ट्रक ने पीछे से कुछचलते हुए फरार हो गया जिसमें इन तीनों की मृत्यु हो गई साथ में परिवार के और 4 सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए जिनका इलाज लखनऊ मेडिकल कॉलेज में चल रहा है स्थिति नाजुक बनी हुई है
घटनास्थल पर रोटियां बिखरी पड़ी मिली मार्क्स सैनिटाइजर जमीन पर पड़े चने के दाने भूख के दर्द को बयां कर रहे थे दृश्य देखकर कलेजा छलनी हो गया परंतु क्षेत्र में इतनी बड़ी घटना किसी भी जनप्रतिनिधि के कान में जूं तक नहीं किसी ने उस परिवार का कुशल क्षेम पूछना उचित नहीं समझा क्योंकि वह मजदूर था और मजदूरों का होता क्या है इनकी अहमियत क्या है आज की राजनीतिक पार्टियां बता रही हैं । ताली, थाली बजाने से देश नहीं चलेगा मजदूरों की यह दर्दनाक मौत रूह को झकझोर देती है दुःखत है। मैं एक पत्रकार होने के कारण जो है, उस सच को मैं बोलूंगा। समस्त मजदूर भाइयों से निवेदन है कि आप अपनी परिस्थितियों को देखते हुए ही अन्य प्रदेशों से अपने घर के लिए पलायन करें।