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बलिया: पुलिस ने आरोपी को पकड़ा तो कैसे हुआ फरार? VIDEO से हुआ सवाल
जिस वक्त बलिया में हंगामा हुआ ठीक उसी समय पुलिस एक शख्स को पकड़ा. फायरिंग में जिस शख्स की मौत हुई उसका बेटा भी कर रहा है कि पुलिस ने आरोपी को पकड़ा. लेकिन वो भीड़ का फायदा उठाकर फरार हो गया.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुई फायरिंग की घटना को लेकर सरकार घिर गई है. प्रशासन की भूमिका और आरोपी के सत्ताधारी दल से रिश्ते को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. उपजिलाधिकारी और पुलिस विभाग के क्षेत्राधिकारी जैसे आला अधिकारियों के सामने हुए गोलीकांड के आरोपियों को भगाने के आरोप भी पुलिस पर लग रहे हैं.
विपक्षी दलों के नेता परिजनों से मिलने पहुंच रहे हैं तो वहीं सत्ताधारी दल के क्षेत्रीय विधायक घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आरोपी के घायल परिजनों की संख्या भी गिना रहे हैं. कानून-व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान लगाने वाली यह घटना गुरुवार को सरकारी सस्ते गल्ले यानी कोटे की दुकान को लेकर हुई खुली बैठक के दौरान हुई.
दुर्जनपुर गांव में कोटे की दो दुकानों के आवंटन के लिए एसडीएम ने 11 बजे से खुली बैठक बुलाई थी. एसडीएम के साथ ही सीओ और पुलिसकर्मी इस बैठक के लिए दोपहर 12 बजे दुर्जनपुर गांव पहुंचे. कोटे की दुकानें आवंटित करने के लिए खुली बैठक 12.15 बजे शुरू हुई. करीब 1 बजे वोटिंग को लेकर बहस तब शुरू हुई, जब एसडीएम ने वोटिंग के लिए आईडी प्रूफ दिखाने की बात कही.
गोलीकांड का आरोपी धीरेंद्र सिंह उर्फ डब्ल्यू अपने पक्ष के लोगों के अनुकूल निर्णय कराने के लिए वोटिंग के दौरान आईडी प्रूफ की अनिवार्यता को लेकर एसडीएम से उलझ पड़ा. यह बात 1.30 बजे की है. यहीं से शुरू हुआ विवाद फायरिंग तक पहुंच गया. मामला एसडीएम और सीओ के नियंत्रण से बाहर हो गया और करीब 2 बजे पत्थरबाजी शुरू हो गई. धीरेंद्र ने फायरिंग शुरू कर दी.
धीरेंद्र ने दुर्जनपुर पुरानी बस्ती निवासी जयप्रकाश पाल उर्फ गामा पर फायर झोक दिया. गामा को 3 से 4 गोलियां लगीं. उसे उपचार के लिए तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनवर्षा ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. आला अधिकारियों की मौजूदगी में हुई इस घटना और आरोपियों के फरार हो जाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.