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- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे...
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा नदारद: पीड़ित सौरभ चतुर्वेदी और उनके मित्रों की कहानी सुनिये,शाम सात बजे भयावह माहौल-बड़े बड़े दावे फेल
पीड़ित ने अपनी आपबीती खुद लिखकर शेयर की है। जिसे पत्रकार गौरव सिंह सेंगर से ट्विटर और फ़ेसबुक पर शेयर किया। चूंकि यूपी में अपराध को लेकर और सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे किए जाते है लेकिन रोजाना वायरल वीडियो साबित करते है कि आज क्या हाल है। अधिकारी सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम पर निश्चिंत रहकर काम करते है। क्योंकि अधिकारियों के खिलाफ यह सरकार कार्यवाही करने से बचती है। लिहाजा सब बाबा के नाम प्र ही चलता है।
पीड़ित ने आपबीती कुछ हूँ शेयर की है।
जबसे पूर्वांचल एक्सप्रेस बना है तबसे लखनऊ हम बलिया वालों के लिए बनारस गोरखपुर की तरह से भाई पटीदार हो गया है। अधिकतम पांच छः घँटे में घर से निकलकर लखनऊ से अपना काम निपटाकर उसीदिन फिर घर लौट आना एक गजब का फीलगुड है।
कल शाम मैं और मेरे बैंक के सहकर्मी साथी Neetin Singh, Kumar Abhineet , Neeraj Shukla , और अभिषेक पांडेय लखनऊ से वाया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे लौट रहे थे। कार मैं ड्राइव कर रहा था।
लखनऊ से बलिया की तरफ करीब 150 किलोमीटर चलने के बाद कार के पिछले टायर में हवा कम महसूस हुई क्योंकि गाड़ी लहरा रही थी। हमने रुककर देखा तो वास्तव में टायर में हवा कम थी। अब हम धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए किसी पेट्रोल पम्प की तलाश में थे जहाँ हवा भरी जा सके। लगभग 260 किलोमीटर पर एक पेट्रोलपंप मिला जहाँ के स्टाफ ने टायर का एयरप्रेशर ठीक कर दिया...
पेट्रोलपंप से निकलकर मुश्किल से पांच मिनट की ड्राइव हुई होगी कि कार से लगभग सटाकर एक बाइक ने ओवरटेक किया.. 120 की स्पीड से चलती हुई कार को कोई बाइक से ओवरटेक करे तो अचंभित होना स्वाभाविक है। बाइकसवार के हाथ में कुछ लम्बा सा था जिसे उसने कार के शीशे पर मारने का प्रयास किया..
वो चाहें स्पीड से हो या अचानक हुए इस वाकये से मेरा बिगड़ा हुआ कॉन्सन्ट्रेशन हो, मेरी कार थोड़ी अनियंत्रित हो गई..लेक़िन मैंने सम्हाल लिया और गाड़ी रुक गई। गाड़ी के रुकते ही वो बाइकसवार भी आगे लगभग 100 फ़ीट की दूरी पर रुक गया...अब पहली बार हमने उसे ध्यान से देखा। वो किसी रेसर बाइक पर लाल रंग का हेलमेट पहना था और आंखों पर नाइटविजन चश्मा पहना हुआ था। इसके अतिरिक्त उसने पूरे शरीर पर सेफ्टी गार्ड्स पहने हुए थे।
वो जिस तरह से हाई स्पीड बाइक पर एक विशेषज्ञ स्टंटपर्सन की तरह से एक तरफ पैरों को मोड़कर गाड़ी पर वार करने का प्रयास कर रहा था, स्पष्ट था कि वो कोई पेशेवर अपराधी था।
मन में तमाम ख्यालात आ रहे थे..करीब दो मिनट दोनों गाड़ियों में कोई मूवमेंट नहीं हुई।
हम प्रतीक्षा कर रहे थे कि कोई गाड़ी पीछे से आए तो हमें भी थोड़ा बल मिल जाए, इसीबीच पीछे से एक और बाईक आई..ये बाइकसवार सामान्य कपड़ो में था लेक़िन चेहरा बांधे हुए था। हमें लगा कि अगर ये यात्री होगा तो इसे भी लूटने का प्रयास होगा। लेकिन, दूसरा बाईकसवार भी उसके पास जाकर खड़ा हो गया। हम किसी निर्णय पर पहुँचते कि दो और बाइक्स आकर उनके साथ लगीं। पहले वाले बाइकर ने उन्हें कुछ इशारे से निर्देश दिए और वो हमारी तरफ घूमने लगे।
कोई और विकल्प न देखकर मैंने पूरी क्षमता से एक्सीलरेटर दबाया और ये मानकर कि जो सामने आएगा उसे टक्कर मारनी पड़ेगी, गाड़ी को आगे बढाया।
हम आगे निकल गए लेक़िन उन्होंने हमें पीछे से दौड़ा लिया...सोंचकर सिहरन हो रही है कि 140 की स्पीड तक वो लगभग हमारे पैरलल भाग रहा था और साथही साथ कार पर वार करने का प्रयास भी कर रहा था।
मैंने गाड़ी को 160 की स्पीड से भी तेज भगाया..दिमाग मे बस यही था कि 294 किलोमीटर पर मऊ गाजीपुर उतरने का टोलप्लाज़ा है, कमसेकम वहाँ पहुँच जाएं..
बीच में एक ट्रक मिली जिसे ओवरटेक करने के बाद उन सबने हमारा पीछा छोड़ दिया..
मजेदार बात ये है कि ये घटना लगभग शाम सात बजे की है और पहली बार उस बाइकसवार से सामना होने के 15 मिनट के भीतर हम टोलप्लाजा पर पहुंच गए।
वहाँ रुककर हमने कार्मिकों से UPEIDA के प्रतिनिधियों के बारे में पूछा जिनसे इसके बारे में बता सकें। क्योंकि, यहाँ भी हमारी सोंच यही थी कि अभी तुरंत की घटना है और ये लोग जाकर उन्हें पकड़ लेंगे।
UPEIDA के गश्ती वाहन के लोग अंदर एक जगह बैठे थे.. वहाँ उनसे पूरी घटना बताई गई तो उन्होंने बताया कि बाइक से छिनैती के पर्यास की ये एक सप्ताह के भीतर की दूसरी घटना है। कोई गिरोह है जो इस क्षेत्र में सक्रिय है। हमने उनसे शिकायत दर्ज करने को कहा तो उनका कहना था कि वो क्षेत्र उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है, इसके लिए हमें 254 किलोमीटर पर जाकर शिकायत करनी पड़ेगी।
मैंने कहा कि 265 पर हमारे साथ लूट का प्रयास हुआ और फिर हम 254 पर इसकी शिकायत दर्ज कराने जाएं??
मैंने उनसे ये भी कहा कि हमारी किस्मत अच्छी थी कि हम बच गए..क्या पता सबके साथ ऐसा न हो..और अब तो इसबात पर भी सुबहा होने लगी है कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर रात में जो एक्सीडेंट हो रहे हैं, कहीं उनका भी इन घटनाओं से कोई सम्बन्ध तो नहीं??
यद्यपि UPEIDA के लोगों ने बड़ी ही विनम्रता से बात की किंतु, लिखित शिकायत उन्होंने लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई..हाँ, उन्होंने फोन करके कई जगह इस बात को बताया..अब इसपर क्या कार्यवाई हुई है, ये हमें नहीं पता...
इस पूरी पोस्ट को यहाँ डालने का मतलब बस इतना है कि ऐसा मेरा विश्वास है कि सोशल मीडिया की पहुंच लंबी है और इसके माध्यम से ये बातें जिम्मेदार अधिकारियों समेत माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय परिवहन मंत्री श्री नीतिन गडकरी जी एवं श्री दयाशंकर सिंह जी तक भी पहुँचेगी..और, उत्तरप्रदेश की सड़कों को अपराधमुक्त माने जाने की जो भावना हमारे भीतर कुछ वर्षों में पनपी है, वो यथावत बनी रहेगी..और, अब जो लोगभी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर जाएं वो ये मान कर जाएं कि वहाँ सबकुछ सुरक्षित ही नहीं है..
सादर सौरभ चतुर्वेदी बलिया