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- ....और रेवड़ी की तरह...
....और रेवड़ी की तरह बंटती रही लाशें, मौत का आंकड़ा पहुचा 24 इलाके में दहशत
बाराबंकी
देर रात्रि तक गुलजार रहने वाला मुख्य चौराहा दिन के उजियारे में सन्नाटे की चादर ओढ़े था तो दूसरी तरफ एकाएक सायरन बजती लाश गाड़ी के पीछे दौड़ती अपनो की भीड़ थी कोई फुट फुट कर रो रहा था तो बहुतो की आंखों से आंसू सूख चुके थे। प्रसाशनिक की गाड़ियो व पुलिस बल की आमद रफ्त से घरो के दरवाजे बंद जरूर थे लेकिन खिड़कियों से ताक झांक कर हलचल पर नज़र जमाये थे।
जी हां हम बात कर रहे रानीगंज चौराहे की जंहा से एक दिन पूर्व मौत का सामान बिका और 24 घर के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए।
हाय भगवान अब कैसे पढ़ाई होइ पई
रानीगंज में एक घर मे 4 दर्दनाक मौत के बाद मृतक रमेश 30 की पत्नी रमावती 25 की गोदी में दूध मुही बच्ची थी बगल में खड़ी सिसक रही 12 साल की संध्या को देख असामयिक विधवा हुई पत्नी फुट फुट कर कह रही थी कि 3 हजार उधार करके बेटी का कोर्स पूरा कराया था 5 सौ महीना फीस अब का हुई कहा से पैसा लेकर बच्चो की अरमानो को पंख लगाउंगी । पत्नी बार बार इस बात को याद कर रो रही थी कि पति ने साम को ही कहा था बेटी को बहुत ऊंची पढ़ाई करवाऊंगा ।
शादी के अरमान टुकड़ो बिखर गए
इलाके के लोहरनपुरवा निवासी रामसहारे की मौत के बाद उसकी बहन मीरा 20 अपना सर घर की दहलीज पर पटक पटक कर चीक रही थी कि पिता मंशाराम 65 सांस के बीमार है । अलावा कोई कमाने वाला नही बचा भैया ने कहा था कि बहन तुम्हे शान से लाल जोड़े में विदा करूँगा अब तो हमारे सारे अरमान चकनाचूर हो गए । है भगवान ये सजा क्यों दी......
शवो को दफनाने की तैयारी में बीत गया दिन
इलाके में हुई 24 मौतों के बाद मौत के बाद अंतिम संस्कार का सामान बिकता रहा । जिस जगह पर हर तरह के सामानों की बाजार लगती थी आज वह स्थान रानीमऊ चौराहा दिन भर मौत की सामग्री बेचता रहा । दुख , अफसोस, सांत्वना, ढांढस, के दौर में नेताओ ने भी सियासत की फील्ड पर उतरे मौके पर पहुच कर राज्य सभा संसद पीएल पुनिया ने कहा कि सरकार को माफिया पैसा पहुचाते है । जिले का पूरा अमला बर्खास्त हो । वही विधायक शरद भी जिम्मेदारों को न बख्शने का वादा करते दिखे छोटे बड़े नेताओं की आमद अंतिम संस्कार में शामिल होने की होड़ मची रही ।