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गठबंधन-कांग्रेस प्रचार में, भाजपा इंतजार में
बाराबंकी (स्पेशल कवरेज न्यूज)।
मंगलवार को जीआईसी ऑडीटोरियम में भाजपा का लोकसभा सम्मेलन होगा। उत्तराखण्ड के मंत्री सतपाल महाराज,पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी आएंगे।मकसद है कार्यकर्ताओ में जोश भरना मगर प्रत्याशी का नाम अभी घोषित नही हुआ है। यानी बैंड बाजा, बाराती होंगे मगर दूल्हा नहीँ।
ये हाल है बाराबंकी संसदीय सीट पर सत्ताधारी दल भाजपा का। मौजूदा सांसद प्रियंका रावत का टिकट कटने के कयास तो लोग लगा ही रहे है पार्टी के भीतर भी कई दावेदार सिर उठाये खड़े हैं। तीन लोगों विधायक उपेंद्र रावत बैजनाथ रावत और रामनरेश रावत की पत्नी ने लिखित आवेदन भी कर रखा है। इनमे एक राजनाथ सिंह के करीबी है । यही नही संगठन और विधायक भी अलग राग अलाप रहे है। फिलहाल प्रत्याशी के नाम की घोषणा में हो रही देरी का सब अपना अपना गणित लगा रहे हैं।
18 लाख से अधिक वोटरों वाले बाराबंकी संसदीय सीट पर सपा ने अपने माहिर खिलाड़ी व कई बार सांसद रह चुके रामसागर रावत को मैदान में उतारा है । सपा में भी प्रत्याशी को लेकर रस्साकशी गोप व बेनी गुट में थी। दो नाम सामने आए रामगोपाल रावत और रामसागर रावत। पार्टी में नेतृत्व ने बेनी के रामसागर को चुना। इस तरह यहां नाम का विवाद खत्म हो गया। गुटबाजी क्या गुल खिलाएगी फिलहाल यह मुद्दा पार्टी के लिए आत्मघाती जरूर बनेगा।
वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता में शुमार राज्य सभा सद्स्य डॉक्टर पी.एल.पुनिया के बेटे तनुज पुनिया कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित हो चुके है। तनुज पुनिया घोषणा से पूर्व ही बतौर प्रत्याशी रणनीति बनाकर एक अरसे से सक्रिय है। डॉक्टर पुनिया भी अपनी राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाने में लगे है। 27 मार्च को लखनऊ से अयोध्या जा रहे प्रियंका वाड्रा के रोड शो में बाराबंकी बीच मे ही पड़ेगा। तनुज के प्रचार की एक बेहतरीन शुरुआत का मौका है। हालांकि कमजोर संगठन किसी जाति पर पकड़ नही और कुर्मी नेता बेनी का विरोधी होना जीत के सफर को मुश्किल बनायेगा।
खैर… अब बात करें भाजपा की तो 2014 में भाजपा की लहर में बरेली से नया चेहरा प्रियंका रावत यहां से प्रत्याशी घोषित हुईं। और अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के डॉक्टर पी.एल.पुनिया को 2 लाख से अधिक वोटों से हराया। कार्यकर्ताओ के बीच अच्छी छवि के साथ जुझारू होना उनका प्लस प्वाइंट बना।
अब आलम यह है कि आचार संहिता से ठीक पहले आयेजित जिस शिलान्यास समारोह में सारे भाजपा विधायकों को आना था। उन्होंने कार्यक्रम में न पहुंचकर अपनी मंशा जाहिर कर दी। प्रियंका की तेजी और शीर्ष पर उनकी पकड़ किसी को रास नहीं आई और नतीजा ये हुआ कि खामोशी से विरोध खड़ा हो गया। विधायको की बात करे तो वो खुद लहर में जीते है इसलिए उनकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। संगठन सिर्फ कुर्ता पैजामा पहनने तक सीमित है।
ऐसे हालातो में प्रत्याशी की घोषणा में हो रही देरी कार्यकर्ताओ में हताशा तो पैदा नही कर रही है। बस रोज नए नए किस्से पैदा हो रहे है। कभी बसपा नेता कमला प्रसाद रावत की बहू लवली रावत की बात होने लगती है वही अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष व पूर्व डीजीपी बृज लाल का नाम आ जाता है। कल शनिवार को होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन में आने वाले नेता बिन दूल्हे की बारात में कैसे जोश भरते है ये देखने वाला होगा।