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निशाना जैसे तय था. बस, किसी बहाने का इंतज़ार था. कुछ इसी तरह कहीं ढाई तो कहीं छह माह पहले आफ़त का पहाड़ टूटा. इसकी जद में आये मुसलमान और ज़ाहिर है कि उनका घर-परिवार भी, नाते-रिश्तेदार और दोस्त-असबाब भी. सब कुछ बदहवास हो गया, बहुत कुछ बर्बाद हो गया. गंवई निगाह से इनमें बमुश्किल तीन परिवारों को ग़रीबी से थोड़ा ऊपर का माना जा सकता है. बाक़ी तो हर पैमाने से ग़रीब से ग़रीबतर हैं. कोई मज़दूरी करता है, कोई रिक्शा खींचता है, कोई फेरी लगाता है, कोई साइकिल का पंक्चर बनाता है तो कोई गुमटी चलाता है. उनके घर बिना कहे भूख, अभाव और ग़रीबी की दास्तान सुनाते हैं.
आदतन पुलिस यहां भी बहुत देर से आयी. तब तक मामला ठंडा हो चुका था. लेकिन अगले दिन हिंदू युवा वाहिनी और हिंदू साम्राज्य परिषद के संग स्थानीय भाजपा विधायक शरद अवस्थी और महादेवा मंदिर के महंत आदित्यनाथ तिवारी ने पुलिस पर दबाव बनाते हुए मामले को गरमा दिया. स्थानीय पुलिस ने उनके कहे पर फ़ौरन अमल किया और 12 लोग नप गये- ज़ाहिर है कि सबके सब मुसलमान. यह कार्रवाई दूसरे पक्ष द्वारा की गयी प्राथमिकी के आधार पर हुई जिसमें कहा गया था कि मुसलमानों ने उनकी शोभा यात्रा पर हमला बोला और मूर्तियों का अपमान किया. रामनगर के थानेदार ने भी अपनी प्राथमिकी में मुसलमानों पर तोहमत मढ़ी और उन्हें सांप्रदायिक बिगाड़ के लिए जिम्मेदार बताया. दोनों प्राथमिकी में गुलाल फेंकने की घटना सिरे से नदारद थी. हालांकि स्थानीय मीडिया में आया पुलिस अधीक्षक का बयान दोनों प्राथमिकी के ठीक उलट था. उन्होंने विवाद की जड़ में गुलाल फेंके जाने का हवाला देते हुए स्थिति को सामान्य बताया था. लेकिन थानेदार की प्राथमिकी के मुताबिक़ स्थिति असामान्य थी- 'अभियुक्त' नेपाल भागने की फ़िराक में थे कि उन्होंने ड्राइवर समेत अपने पांच सहयोगियों के दम पर सभी बारह शातिरों को गिरफ़्तार कर जेल भिजवा दिया.
दोनों जगह जो हुआ, वो दो समुदायों के बीच भिडंत का मामला नहीं था. पूरा बवाल इकतरफ़ा था. पुलिस भी इकतरफ़ा थी और प्रशासन भी. तो इसमें अचरज कैसा कि इल्ज़ाम बस मुसलमानों पर लगा. उनमें अधिकतर नाम ऐसे हैं जो हंगामा मचने के समय वहां थे ही नहीं. बड़ी संख्या में मुसलमानों को 'धर दबोचा' गया और बिना किसी देरी के जेल रवाना कर दिया गया. किसी तरह ज़मानत पर रिहाई का सिलसिला चला लेकिन नानपारा के पांच और महादेवा के चार लोगों की रिहाई में भारी पेंच फंस गया. उन पर रासुका लग गया. मतलब कि उनसे देश की सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो गया था.